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Mar 7, 2024

उदंती.com, मार्च - 2024

वर्ष - 16, अंक - 7

प्रेम

विपदाएँ आते ही,

 खुलकर तन जाता है

हटते ही, 

चुपचाप सिमट ढीला होता है;

वर्षा से बचकर,

 कोने में कहीं टिका दो,

प्यार एक छाता है, 

आश्रय देता है, गीला होता है।

                  - सर्वेश्वर दयाल सक्सेना     

इस अंक में

अनकहीः रंगों और उमंगों की बौछार - डॉ. रत्ना वर्मा

विकासः असुरक्षित बाँधों को हटाना आवश्यक है - हिमांशु ठक्कर

जीवन दर्शनः महाभारत: मैं से मुक्ति - विजय जोशी

पर्व - संस्कृतिः छत्तीसगढ़ में होली- चली फगुनाहट बौरे आम... - डॉ. परदेशीराम वर्मा

बाल कविताः होली की धूम - डॉ. कमलेंद्र कुमार

महिला दिवसः स्त्री - पुरुष असमानता और हमारा समाज - डॉ. सुरंगमा यादव

कविताः  कितना कुछ कर जाती है औरत  - विजय जोशी

पर्व- संस्कृतिः शिव मंदिरों का एक सीधी रेखा में बने होने का रहस्य - प्रमोद भार्गव

कविताः  परवाज़ - प्रणति ठाकुर

फिल्मः भारतीय सिनेमा की आवाज़ को 93 वर्ष पूरे - डॉ. दीपेंद्र कमथान

कविताः ठोकरों की राह पर - लिली मित्रा

लघुकथाः क्वालिटी टाइम - अर्चना राय

बांग्ला कहानीः वह पेड़ - ऋत्विक घटक , अनुवाद - मीता दास

लघुकथाः अथ विकास कथा - सुकेश साहनी

व्यंग्यः अर्थों का दिवंगत होना - डॉ . गिरिराजशरण अग्रवाल

किताबेंः अनुवाद  मूल रचनात्मकता से बड़ा काम होता है - सुभाष नीरव

दोहेः उड़त अबीर गुलाल -  ज्योतिर्मयी पंत

रपटः वार्षिक उत्सव- रोजगारमूलक शिक्षा मुख्य उद्देश्य - उदंती फीचर्स

विशेष लेखः छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण के लिए बड़ा कदम - डॉ. दानेश्वरी संभाकर

आलेखः महतारी वंदन योजना- महिलाओं को मिली खुशियों की गारंटी - श्रीमती रीनू ठाकुर

शोधः वृद्धावस्था थामने की कोशिश

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