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Mar 7, 2024

रपटः बस्तर के साथी गुरुकुल विद्यालय का रंगारंग वार्षिक उत्सव

 संस्कृति, परंपरा से जुड़े रहने के साथ 

रोजगारमूलक शिक्षा मुख्य उद्देश्य 

पिछले दिनों बस्तर कोण्डागाँव के कुम्हारपारा में ‘साथी समाज सेवी संस्था’ द्वारा संचालित स्कूल ‘साथी राउंड टेबल गुरुकुल’ के 20 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में भव्य रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किया गया था। जो पद्मश्री धरमपाल सैनी जी के मुख्य आतिथ्य एवं पद्मश्री हेमचंद मांझी वैद्यराज जी के विशेष आतिथ्य में तथा किसान नेता डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। 

गुरुकुल के बच्चों द्वारा शिक्षकों के नेतृत्व में शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रमों की एक से बढ़कर एक बेहतरीन प्रस्तुतियाँ दी गई। इस उत्सव की खास बात यह थी कि स्कूल में पढ़ने वाले नर्सरी से लेकर आठवीं तक के सभी बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में भाग लिया था। 

 इस भव्य कार्यक्रम में कोंडागाँव जिले के 3 नेशनल अवॉर्ड प्राप्त शिल्पकारों श्री तिजुराम विश्वकर्मा, श्री पंचूराम सागर तथा श्री राजेंद्र बघेल को शिल्प शिरोमणि सम्मान से सम्मानित किया गया तथा 2 शिक्षको ठाकुर राजेंद्र सिंह राठौर एवं श्री आर के जैन जी को शिक्षा गौरव सम्मान से सम्मानित किया गया। बस्तर संभाग की दो महान विभूतियों पद्मश्री धरमपाल सैनी जी को उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए विनोबा सम्मान तथा पद्मश्री हेमचंद मांझी जी को धनवंतरी सम्मान से सम्मानित किया गया।  कोंडागाँव के प्रख्यात किसान डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी जी को बस्तर भूषण सम्मान से सम्मानित किया गया। 

 इस अवसर पर स्वागत भाषण में साथी समाज सेवी संस्था के सचिव श्री हरिलाल भारद्वाज ने उपस्थित आगंतुकों तथा अभिभावकों का स्वागत किया।  डॉक्टर रत्ना वर्मा संस्थापक सदस्य साथी संस्था ने गुरुकुल विद्यालय की वर्तमान स्थिति पर अपने विचार रखे । उन्होंने स्कूल के साथ अपने अनुभव को सबके साथ साझा करते हुए कहा कि  20 वर्ष पहले, जब साथी गुरुकुल की रूपरेखा तैयार हो रही थी, तब यह एक सपने की तरह था,  परन्तु साथी समाज सेवी संस्था के तीन आधार स्तंभ भूपेश भाई, हरि भाई, और सदैव हम सबके दिलों में रहने वाले स्व. भाई भूपेंद्र बंछोर के दृढ़ निश्चय और लगन का ही परिणाम है कि आदिवासी क्षेत्र के उन बच्चों के लिए, जो स्कूल जाने में असमर्थ थे, स्कूल स्थापित करने का यह सपना साकार हो सका।  मैंने इस स्कूल को उस समय से देखा है, जब एक छोटे से कमरे में 13 छोटे- छोटे बच्चों के साथ इसका शुभारंभ हुआ था। 

डॉ. रत्ना ने आगे कहा कि  गुरुकुल स्कूल की शिक्षा पद्धति ही इस स्कूल को खास बनाती है,  परन्तु स्कूल के इस 20 साल के सफर में संस्था के सामने कई मुसीबतें आईं,  जिसमें सबसे मुश्किल घड़ी थी - कोविड का वह कठिन दौर, जब पूरा विश्व इससे लड़ाई लड़ रहा था । साथी गुरुकुल ने भी इस कठिनाइयों का सामना किया। एक दौर तो ऐसा भी आया कि लगने लगा क्या स्कूल बंद हो जाएगा? पर इस कठिन समय में भी संस्था ने हार नहीं मानी। डॉ. वर्मा ने यह भी बताया कि स्कूल के इस कठिन दौर में उनके परिवार के सदस्यों के साथ उनकी मासिक पत्रिका उदंती के माध्यम से देश के अनके प्रबुद्ध लेखकों ने बड़ी संख्या में आगे आकर स्कूल को संचालित करने में अपना महत्त्वपूर्ण  योगदान दिया था और आज भी दे रहे हैं। 

साथी के सूत्र वाक्य  - “अकेले हम बहुत कम कर सकते हैं, पर साथ मिलकर हम बहुत कुछ कर सकते हैं।” को उदघृत करते हुए उन्होंने उपस्थित जनसमुदाय से अनुरोध किया कि स्कूल का भविष्य उज्ज्वल हो और आपके बच्चे एक बेहतर नागरिक बनकर आपका नाम रोशन करें यही मनोकामना है; परंतु यह तभी संभव है जब आप सबका प्यार और साथ मिले। उन्होंने इस भगीरथ प्रयास में सबको सहभागी बनने की अपील करते हुए अपनी बात समाप्त की। 

तदुपरांत संस्था के अध्यक्ष भूपेश तिवारी ने विद्यालय की 20 वर्षों की यात्रा के साथ विद्यालय की उपलब्धियों, चुनौतियों सहित भविष्य की कार्य योजना की 

जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2004 में ग्रामीण एवं वंचित समुदाय के जरूरतमंद बच्चों को रोजगारमूलक शिक्षा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से साथी संस्था द्वारा गुरुकुल की स्थापना की गई थी, जहाँ बच्चों को सीखने का अवसर देने के साथ- साथ उनकी प्रतिभा को तराशा जाता है। सिर्फ 13 बच्चों से शुरू किए गए विद्यालय में वर्तमान में लगभग 250 बच्चे अध्ययनरत हैं।  

उन्होंने आगे कहा कि संस्था ने अपने अनुभव से महसूस किया कि ग्रामीण बच्चे बाहरी लोगों के सामने अपनी झिझक एवं शर्म के कारण अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन ठीक से नहीं कर पाते तथा शिल्पी समुदाय के बच्चे अपने परिवार के परंपरागत काम से दूर भी होते जा रहे हैं, ऐसे में संस्था ने महसूस किया कि बच्चो में अपनी संस्कृति, परंपरा, कौशल के प्रति सम्मान का भाव पैदा होना आवश्यक है। इन्ही सब उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए यह स्कूल प्रारंभ किया गया, जो आज अपने 20 वर्ष पूर्ण कर रहा है।  अब तक कुल 1200 से अधिक बच्चे, जो इस स्कूल से शिक्षा प्राप्त कर निकले हैं, उच्च शिक्षा प्राप्त कर आज विभिन्न क्षेत्रों में अपना परचम लहरा रहे हैं। कोई सफलतापूर्वक व्यवसाय कर रहा है, तो कई  उच्च शिक्षा प्राप्त कर सम्मानजनक नौकरी कर अपने परिवार की आर्थिक सहायता कर रहे हैं। 

 भूपेश जी ने पिछले वर्षों में स्कूल के सामने आई कई चुनौतियों  के बारे में बताते हुए कहा कि हर मुसीबत का सामना करते हुए यह विद्यालय अपने मूल उद्देश्यों को पूरा करने में आज भी लगा हुआ है। आर्थिक परेशानियों के समय साथी परिवार से जुड़े लोग अपनी सामर्थ्य अनुसार विद्यालय को दान भी दे रहे हैं, जिसके कारण हम विद्यालय का सफलता पूर्वक संचालन कर पा रहे हैं।  

इसके बाद कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री धरमपाल सैनी जी ने बच्चों की अद्भुत प्रतिभा की प्रशंसा करते हुए कहा कि बिना भय के भरपूर आत्मविश्वास के साथ इस स्कूल के बच्चे जैसा प्रदर्शन कर रहे हैं वह काबिले तारीफ है। डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी जी ने साथी संस्था के संस्थापकों के बारे में बताया कि  मैंने जब अपनी बैंक की जॉब छोड़ी, तो उसके लिए प्रेरणा मुझे भाई भूपेश तिवारी और उनके साथियों से मिली।

सांस्कृतिक कार्यक्रम आरंभ होने के पूर्व सभी अतिथियों ने बच्चों द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया एवं बच्चों का उत्साहवर्धन भी किया।  कार्यक्रम के अंत में स्कूल की प्राचार्य  श्रीमती प्रभा कुंभकार ने  उपस्थित आदरणीय अतिथियों के साथ सभागार में कार्यक्रम का आनंद ले रहे अभिभावकों एवं क्षेत्र के उपस्थित सम्माननीय जनसमुदाय का आभार व्यक्त किया। चार घंटों तक चले इस भव्य कार्यक्रम का संचालन मधु तिवारी एवं संतोष तिवारी ने बहुत ही कुशलता से किया। 

वार्षिक उत्सव के पहले दिन गुरुकुल में बच्चों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों, कबाड़ से जुगाड़, बस्तर की संस्कृति से संबंधित वस्तुओं के साथ बस्तर की समृद्धि को दर्शाती एक शानदार प्रदर्शनी का आयोजन किया गया था।  प्रदर्शनी का उद्घाटन कोंडागांव के विख्यात किसान डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी जी के हाथों संपन्न हुआ।  अध्यक्ष भूपेश तिवारी ने बच्चों द्वारा बनाई गई कलाकृतियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी, साथ ही त्रिपाठी जी ने बच्चों के साथ संवाद कर उन्हें बेहतर इंसान बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।  बच्चों ने भी अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए कई प्रकार के सवाल उनसे पूछे।  इसके साथ ही बच्चों द्वारा इस अवसर पर स्वादिष्ट आनंद मेले का भी आयोजन किया गया था जिसमें बच्चों ने विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन बना कर बना कर सबका मन मोह लिया, अलग अलग व्यंजनों का स्वाद लेकर बच्चों के साथ उनके परिवारजनों ने भरपूर आनंद उठाया। 

 इस दो दिवसीय कार्यक्रम में विद्यालय के सभी शिक्षकों सहित संस्था के समस्त कार्यकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा। ■ ( उदंती फीचर्स)

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