इस बार २०१७-१८ के आर्थिक सर्वेक्षण की सबसे खास बात यह रही कि इसे गुलाबी रंग में पेश किया गया, जो महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा को खत्म करने के लिए तेज हो रहे अभियानों को सरकार के समर्थन का प्रतीक है। इस आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, पूर्वोत्तर राज्यों ने लैंगिक समानता के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है, जो पूरे देश के लिए एक मॉडल हो सकता है। सर्वे में लैंगिक भेदभाव की बात जिन आयामों पर की गई है, उनमें महिला/पत्नी के प्रति हिंसा, बेटों की तुलना में बेटियों...पूरा पढे..
जल संकट
अब पानी के लिए लड़ाई
-राजकुमार कुम्भज
दक्षिण अफ्रीका की राजधानी केपटाउन इस समय भीषण जल संकट से जूझ रहा है। हालात इतने भयानक हो चुके हैं कि यहाँ पानी का संकट अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया है। वैसे तो दक्षिण अफ्रीका का यह खूबसूरत शहर पिछले एक दशक से पानी की किल्लत... पूरा पढे..
प्रासंगिक
राक्षसी शक्तियों के दहन का पर्व
-प्रमोद भार्गव
होली एक प्राचीन त्योहार है। पौराणिक कथाओं के अनुसार मुख्य रुप से यह बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व है। भारत और चीन में इसे, इसी परिप्रेक्ष्य में मनाने की परंपरा है। आज इस पर्व को मूल-अर्थों में मनाना ज्यादा प्रासंगिक है। क्योंकि नैतिकता-अनैतिकता के सभी मानदण्ड खोटे होते जा रहे हैं। समाज में जिसकी लाठी, उसकी भैंस का कानून प्रभावी बढ़ता जा रहा है। साधन और साध्य का अंतर... पूरा पढे..
उदंती का इस बार का अंक देखा जो काफी रुचिकर लगा . दोहे , कविता , हाइकू , लघुकथा , व्यंग्य ,कहानियाँ सभी का समावेश करती उदंती पत्रिका अपने आप में बेजोड़ है जिसमे हर पाठक की रूचि का ध्यान गया है और यही पत्रिका की विशेषता है .
लेखकों से...उदंती.com एक सामाजिक- सांस्कृतिक वेब पत्रिका है। पत्रिका में सम- सामयिक लेखों के साथ पर्यावरण, पर्यटन, लोक संस्कृति, ऐतिहासिक- सांस्कृतिक धरोहर से जुड़े लेखों और साहित्य की विभिन्न विधाओं जैसे कहानी, व्यंग्य, लघुकथाएँ, कविता, गीत, ग़ज़ल, यात्रा, संस्मरण आदि का भी समावेश किया गया है। आपकी मौलिक, अप्रकाशित रचनाओं का स्वागत है। रचनाएँ कृपया Email-udanti.com@gmail.com पर प्रेषित करें। माटी समाज सेवी संस्था का अभिनव प्रयास माटी समाज सेवी संस्था, समाज के विभिन्न जागरुकता अभियान के क्षेत्र में काम करती है। पिछले वर्षों में संस्था ने समाज से जुड़े विभिन्न विषयों जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य,पर्यावरण, प्रदूषण आदि क्षेत्रों में काम करते हुए जागरुकता लाने का प्रयास किया है। माटी संस्था कई वर्षों से बस्तर के जरुरतमंद बच्चों की शिक्षा के लिए धन एकत्रित करने का अभिनव प्रयास कर रही है। बस्तर कोण्डागाँव जिले के कुम्हारपारा ग्राम में “साथी समाज सेवी संस्था” द्वारा संचालित स्कूल “साथी राऊंड टेबल गुरूकुल” में ऐसे आदिवासी बच्चों को शिक्षा दी जाती है जिनके माता-पिता उन्हें पढ़ाने में असमर्थ होते हैं। प्रति वर्ष एक बच्चे की शिक्षा में लगभग चार हजार रुपए तक खर्च आता है। शिक्षा सबको मिले इस विचार से सहमत अनेक लोग पिछले कई सालों से उक्त गुरूकुल के बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी लेते आ रहे हैं। अनुदान देने वालों में शामिल हैं- अनुदान देने वालों में शामिल हैं- प्रियंका-गगन सयाल, मेनचेस्टर (U.K.), डॉ. प्रतिमा-अशोक चंद्राकर, रायपुर, सुमन-शिवकुमार परगनिहा, रायपुर, अरुणा-नरेन्द्र तिवारी, रायपुर, राजेश चंद्रवंशी, रायपुर (पिता श्री अनुज चंद्रवंशी की स्मृति में), क्षितिज चंद्रवंशी, बैंगलोर (पिता श्री राकेश चंद्रवंशी की स्मृति में)। इस प्रयास में यदि आप भी शामिल होना चाहते हैं तो आपका स्वागत है। आपके इस अल्प सहयोग से स्कूल जाने में असमर्थ बच्चे शिक्षित होकर राष्ट्र की मुख्य धारा में शामिल तो होंगे ही साथ ही देश के विकास में भागीदार भी बनेंगे। तो आइए देश को शिक्षित बनाने में एक कदम हम भी बढ़ाएँ। सम्पर्क- माटी समाज सेवी संस्था, रायपुर (छ.ग.) मोबा. 94255 24044, Email- drvermar@gmail.com
पिछले अंक
पिछले अंक
हास्य
देने-लेने की साड़ियों की रंगदारी
- हरि जोशी
जिसे बारात का अनुभव नहीं, जो घोड़ी कभी चढ़ा नहीं या जिसने भारतीय विवाह देखा नहीं, उसे तो निरा बन्दर ही कहें? और बंदर क्या जाने अदरक का स्वाद? ऐसे लोगों के सामने इन साड़ियों की कथा सुनाना भैंस के आगे बीन बजाने से अधिक कुछ नहीं है। खैर जिन्होंने वे लाव-लश्कर देखे हैं, वही ज्ञानी मालवा की शेरवानी के महत्त्व को समझते हैं। इस प्रथा का आविष्कार भारतीय महिलाएँ... पूरा पढे..
कहानी
भीड़ का हिस्सा
- सुदर्शन रत्नाकर
लम्बे- लम्बे क़दम रखते हुए वह शीघ्रता से सडक़ पर आ गई। रात के नौ बजे थे। पर सर्दी का मौसम होने के कारण लोग कम थे। बस स्टॉप पर भी तीन चार यात्री खड़े थे। पन्द्रह मिनट बीत गए, परन्तु अभी तक बस नहीं आई थी। उसकी परेशानी बढ़ गई। बॉस ने उसे घर छोडऩे के लिए कहा भी था। पर उसने इन्कार कर दिया था। रात के... पूरा पढे..
2 Comments:
बढ़िया अंक...रचनाएँ पढ़ी| उत्कृष्ट रचनाओं के लिए आभार| बधाई और शुभकामनाएँ!!
उदंती का इस बार का अंक देखा जो काफी रुचिकर लगा . दोहे , कविता , हाइकू , लघुकथा , व्यंग्य ,कहानियाँ सभी का समावेश करती उदंती पत्रिका अपने आप में बेजोड़ है जिसमे हर पाठक की रूचि का ध्यान गया है और यही पत्रिका की विशेषता है .
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