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Nov 24, 2012

दीपावली के दोहे











दीपावली के दोहे
1
ऐसे दीप जलाइए, रोशन सब जग होय
अँधियारा मन का मिटे, फूट-फूट तम रोय ।
2
आस्थाओं के तेल में, नेह-वर्तिका डाल
उजियारा तम के लिए, बन जाएगा ढाल ।
3
घनी अमावस रात ने, लिया अँधेरा ओढ़
पायल पहने रोशनी, लगा रही है होड़ ।
4
नन्ही -सी लौ दीप की, झूम-झूम हरसाय ।
घूँघट में ज्यों नववधू,मन ही मन मुस्काय ।
5
कोने में बैठा हुआ, युगों से अन्धकार
मना-मना कर चाँदनी, हरदम जाती हार ।
6
खूब मने दीपावली,दीप जलें चहुँ ओर
सूखी बाती -सा जले, जिसके मन में चोर ।
                  - डॉ.भावना कुँअर (सिडनी)
  
1
दिया अकेला कब जले,जलता केवल तेल
वह भी जलता है तभी, जब बाती से मेल
2
अँधियारे को चीरना, तब ही हो आसान
दीपक कैसा भी सही,पर हो लौ में जान ।
3
दीवाली की रोशनी, करें पटाखे शोर
चाहे जितनी रात हो, लगती जैसे भोर ।
4
घनी अमावस रात में, दीवाली जब आय
सूनापन आकाश में, देख दिया मुस्काय ।
5
दीवाली की ये घड़ी, कभी न जाये बीत
आँखों में जलते रहें, सदा हजारों दीप । 

                    - प्रगीत कुँअर (सिडनी)

1 comment:

Dr.Bhawna Kunwar said...

udanti men sthaan dene ke liye bahut-bahut aabhaar...