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Jan 31, 2012

उदंती.com-जनवरी 2012


मासिक पत्रिका वर्ष2, अंक 5, जनवरी 2012निरक्षरता देश के लिए सबसे बड़ा अभिशाप है।
इसके लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता है।
- सुभाष चंद्र बोस

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अनकही: हताशा की काली छाया तले - डॉ. रत्ना वर्मा
नया साल: अभी भी देर नहीं हुई है
खुश रहें और आशावादी बने: सुभाष चंद्र बोस
साहित्य: मैं तुलसीदास की रामायण माँगता हूं - यशवंत कोठारी
सहकारिता: जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के सौ साल
पर्यावरण: विलासिता की राह छोडऩी होगी
सिनेमा: पार्श्वगायन के जन्मदाता पुतुल दा - पंकज मल्लिक
लोक- संगीत: आदिम लोक जीवन की अनुगूंज - संजीव तिवारी
अनूप रंजन: सांस्कृतिक परंपरा को समर्पित...
सेहत: लोग पत्थर मिट्टी क्यों खाते हैं?- डॉ. एस. जोशी
मुद्दा: ध्वस्त न्याय प्रणाली - राम अवतार सचान
मिसाल: 94 की उम्र में भी फुल टाइम जॉब
जयंती: अब लोचन अकुलाय, लखिबों लोचन लाल को... - प्रो. अश्विनी केशरवानी
हाइकु: बर्फीला मौसम - डॉ. सुधा गुप्ता
कविता: पल दर पल - अशोक सिंघई
हर सवाल में - डॉ. अजय पाठक

व्यंग्य: अपनी शरण दिलाओ, भ्रष्टाचार जी! - प्रेम जनमेजय
लघुकथाएं: 1.कमीज 2. अपने अपने सन्दर्भ - रामेश्वर काम्बोज हिमांशु
पहल: सूरज प्रकाश ने अपना खजाना ऐसे बांटा...
पिछले दिनों
वाह भई वाह

रंग बिरंगी दुनिया
शोध: जूते कितने फायदेमंद
ग़ज़ल: बांसुरी की तान, लम्बी कतार - चांद शेरी
बूंद- बूंद से बना समंदर

6 comments:

वन्दना अवस्थी दुबे said...

एक-एक कर पढूंगी सभी रचनाएं.

प्रियंका गुप्ता said...

‘उदंती’ के रूप में एक सार्थक और खूबसूरत पत्रिका निकालने के लिए बहुत बधाई...। अभी तक जितनी रचनाएँ पढ़ पाई, अच्छी लगी...। रचनाओं का चयन अच्छा है...। मेरी शुभकामनाएँ...।
साथ ही होली की भी अग्रिम शुभकामनाएँ...।

प्रियंका गुप्ता

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सार्थक पत्रिका ... हर रंग सिमटा हुआ है ... आभार

Rachana said...

sunder manohari patrika aap ki mihnat se rachi basi khushbu sabhi ko mahka rahi hai
badhai
rachana

mukesh chandrawanshi said...

एक एक शब्द मार्धय लियॆ हुए है
पढने में आन्नद आता है..........

mukesh chandrawanshi said...

एक एक शब्द मार्धय लियॆ हुए है
पढने में आन्नद आता है..........