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Feb 2, 2012

बांसुरी की तान

-   चाँद  शेरी
इरादे की अटल चट्टान देगा,
हमें खुद हौसला तूफान देगा।
वो दिन कब आएगा जब वक्त हमको,
हमारी गुमशुदा मुस्कान देगा।
मेरे मोती से जानो- दिल के बदले,
मुझे अश्कों का वो वरदान देगा।
कहां अब पॉप म्यूजि़क का जमाना,
किशन की बांसुरी की तान देगा।
धरम कोई भी हो देगा मुहब्बत,
मुहब्बत ही हमें ईमान देगा।
उसे हम अमन का पैगाम देंगे,
हमें जो जंग का मैदान देगा।
लहू बहता है जो दुनिया में 'शेरी'
वो तेरी नज्म को उनवान देगा।
लम्बी कतार
एक लम्बी कतार बाक़ी है,
मुफलिसों की पुकार बाक़ी है।
सूद ही सूद में बिका सब कुछ,
जो लिया था उधार बाक़ी है।
कत्ल मासूम हो गए लाखों,
फिर भी खन्जर की धार बाक़ी है।
नींद तो उड़ गई धुआं बन कर,
जलती बुझती सिगार बाक़ी है।
बस यही गम गुसार है मेरा,
हाथ में जो सितार बाक़ी है।
रौनकें कारवां के साथ गईं,
धूल उड़ाता गुबार बाक़ी है।
आदमीयत तो मर गई 'शेरी'
अब तो उसका मज़ार बाक़ी है।
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