उदंती.com को आपका सहयोग निरंतर मिल रहा है। कृपया उदंती की रचनाओँ पर अपनी टिप्पणी पोस्ट करके हमें प्रोत्साहित करें। आपकी मौलिक रचनाओं का स्वागत है। धन्यवाद।

Oct 24, 2009

उदंती.com, अक्टूबर 2009

वर्ष 2, अंक 3, अक्टूबर 2009
**************
अपने खर्च को आमदनी से हमेशा कम रखो। सुखी और अमीर बनने का एक यही सबसे अच्छा तरीका है। - गेटे
**************
अनकही: तमसो मा ज्योर्तिगमय...
सुरक्षा नीति: हाय तौबा क्यों? - संजीव खुदशाह
शोध: 60 के पार चुस्त-दुरुस्त रहना हो...- नरेन्द्र देवांगन
कला: मिट्टी की महक से रोशन करें घर- आंगन - सुकांत दास
लोक परंपरा: तरी नरी नहाना री नहना रे ... - उदंती फीचर्स
आत्मकथा: सबके दाता राम - मोहन दास करमचंद गांधी 
यक्ष- प्रश्न: चहकना क्यों भूल गए बच्चे - रामेश्वर काम्बोज हिमांशु
समाज:समय की धूरी पर घूमता चाक - गोपाल सिंह चौहान
पलायन: आसमान की तरफ रह- रह अंख- भर ...-जोफीन टी. इब्राहिम
लघुकथा:कानून के दरवाजे पर- फ्रांज काफ्का
रहस्य: वह आंसू नहीं खून बहाता है/कुल देवता की पूजा का पर्व मातर      
मंजिल: आपका नंबर भी आयेगा - डॉ. मधुसूदन पुरोहित 
पर्यावरण: दीपदान  की परंपरा/ गर्म होती धरती और ...
अभियान/ मुझे भी आता है गुस्साः अपनी सोच बदल डालिए- सुमन परगनिहा
कविताः दिये की लौ बढ़ाओ - डॉ. रत्ना वर्मा 
 तुम ऐसे क्यों आईं लक्ष्मी - प्रेम जनमेजय



No comments: