वर्ष- 13, अंक- 9
जो व्यक्ति मानवता की सेवा नहीं कर सकता,
वह ईश्वर की भी आराधना करने के लायक नहीं।
इस अंक में
अनकहीः मैं अभी हारा नहीं हूँ... -डॉ. रत्ना वर्मा
श्रद्धांजलिः मैं तो स्वयं ही अपने आपको नहीं जानता -नरेन्द्र कोहली
व्यंग्यः लोकार्पण -नरेन्द्र कोहली
श्रद्धांजलिः सुनीलजी हमारे दिलों में सदा रहेंगे -डॉ. जेन्नी शबनम
श्रद्धांजलिः दो ग़ज़लें - कुँअर बेचैन
आलेखः सुख-दुःख में समभाव -अगरचन्द नाहटा
आलेखः जीवन अनमोल है -डॉ.
पद्मजा शर्मा
ग़ज़लः वक़्त है बेरहम -प्रीति ‘उम्मीद’
कविताः सूरज ले आएँ -रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
संस्मरणः चलती ट्रक पर नाटिका का मंचन -संदीप राशिनकर
कोरोनाः लॉकडाउन की कीमत -सोमेश केलकर
कहानीः सुबह की चाय -गोविन्द उपाध्याय
लघुकथाएँ -1. गुलाब वाला कप, २. भिखारी - श्याम सुन्दर अग्रवाल
लघुकथाः उम्मीद की डोर -माधुरी महलवाला
किताबें - बहु आयामों वाली कथाओं से सुसज्जित -नमिता सुंदर
कविताः हथेलियों की रेखाएँ -डॉ संजय अवस्थी
चार बाल कविताः तुम कहते हो बच्चा है -चक्रधर शुक्ल