प्रथम दृष्टया शीर्षक आपको अटपटा लगेगा, क्योंकि आदमी का आकलन हम अमूमन उसकी आदतों को देखकर करते हैं। पर यह सदा सही नहीं हो सकता। आदत और चरित्र इंसानी जीवन के दोनों अलग अलग आयाम हैं। आदत जहाँ एक ओर ऊपरी हार्डवेयर पक्ष है, वहीं चरित्र उसका अंतर्मन यानी सॉफ्टवेयर पक्ष। दोनों समानुपाती भी हो सकते हैं और विरोधाभासी भी। मैं स्वयं इस हेयरलाईन यानी बाल बराबर फर्क से अनजान था, जब तक कि एक बेहद सुलझी उलझनभरी पहेली से मेरा साक्षात्कार हुआ, जो इस प्रकार है :
1. श्रीमान ‘अ’ : इसकी दोस्ती थी खराब राजनैतिक व्यक्तियों से। यह ज्योतिषियों की राय पर आश्रित रहा करता था। पत्नियाँ थीं दो। स्वयं था चेन स्मोकर तथा सुरा सुंदरी प्रेमी।
2. श्रीमान ‘ब’ : इसे दो बार अपनी बुरी आदतों के कारण नौकरी से निकाला गया। बहुत देर तक सोया रहा करता था तथा अफ़ीम प्रेमी होने के साथ ही सुरा सुंदरी के साथ अपनी शाम रंगीन किया करता था।
3. श्रीमान ‘स’ : यह था युद्ध में वीरता पदक से सम्मानित सैनिक, जिसने कभी धूम्रपान तक नहीं किया था। शराब तो छुई तक नहीं। पत्नी को कभी धोखा नहीं दिया तथा खुद एक कलाकार एवं पेंटर था।
अब बताइए किसे श्रेष्ठ मानेंगे। हम सबका एक ही उत्तर होगा। है न आश्चर्यजनक बात। अब खुद देखिए कि आदत के आधार पर आदमी का आकलन कैसे गलतफहमी पैदा कर सकता है। देखिए कौन थे ये व्यक्ति :
- प्रथम पुरुष थे अमेरिका के 32 वें राष्ट्रपति फ्रेंकलिन रूज़वेल्ट।
- दूसरे व्यक्ति थे ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल।
- अंतिम व्यक्ति जर्मनी के शासक एडोल्फ हिटलर।
याद रखिए जीवन में हर एक आदमी महत्त्वपूर्ण है। उन्हें आँकने या परखने का प्रयास मत कीजिए, बल्कि खुले मन से स्वीकार कीजिए। उबलता पानी एक ओर जहाँ अंडे को कड़ा कर देता है, वहीं आलू को नर्म तथा मुलायम। यह सब इस बात पर निर्भर है कि तनावपूर्ण परिस्थितियों में हम हर अलग अलग आदमी के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। जीवन आनंद का मार्ग है। उसका सहजता एवं सुगमतापूर्वक मजा लीजिए। हर आदमी को उसकी विशेषताओं के परिप्रेक्ष्य में अपनाइए बगैर माइक्रोस्कोपिक परीक्षण के। फिर किसी के भी आकलन का अधिकार भला हमें किसने और कब दिया है।
हर बशर मौला नहीं है, हर बशर गांधी नहीं है
वस्त्र हर रेशम नहीं है, सूत हर खादी नहीं है
सत्य की कसौटी पर मत कसो तुम आदमी को
आदमी है आदमी, सोना नहीं, चाँदी नहीं
55 comments:
अच्छा लगा, बहुत अच्छा।
अच्छा है। बधाई।
आदत और चरित्र इन्साानी जीवन के दोनों अलग-अलग आयाम है। सही कहा आपने । बहुत बढ़िया ॥ सुदर्शन रत्नाकर
आपने आदत और चरित्र का अंतर बहुत ही खूबसूरत तरीके से समझाया हैl आदत से आंकने से गलती की बहुत सम्भावना हैl वैसे हमें जो जिस रूप मैं है उसे वैसे स्वीकार करना चाहिएl दूसरे पर हमारा नियंत्रण नहीं होता हैl साधुवाद!
वाह
तू ख़ुदा है न मिरा इश्क़ फ़रिश्तों जैसा
दोनों इंसाँ हैं तो क्यूँ इतने हिजाबों में मिलें
फ़राज़
Very good article, it's true that we can't judge a person by our own standard!
बहुत सुन्दर विश्लेषण!
बहुत सुंदर जीवन दर्शन विश्लेषण
आदत एवं चरित्र दोनो अलग अलग है
बहुत सही तरीके से आपने इसकी व्याख्या की है।
People are born inocent but their character gets shaped as they traverse in time. "Circumstances" to a great extent are responsible for what we become. Circumstances - could be lack of Sanskar from parents, poverty, improper friends, health, societal pressures etc. etc. Few strong willed people are able to resist the negatives n emergency successful but most will have the tendency to float away with the tide and they will change only when they land on shores that provide them with a new conducive environment.
जिंदगी गुजर गई जब जीने का सलिखा आया। बहुत सुंदर उदाहरण है।किसी का आकलन करना अपने आप में बहुत कठिन कार्य है। कहने को तो कहलाते हैं। हम हिंदू और मुसलमान पर गरेवान में झांक के देखो तो ना बन पाए इंसान ।
Excellant sirji
हमेशा की तरह,अति सुंदर लेख,सहज,सरल अंदाज़ में।हर इंसान के होते है दस,दस चेहरे।सिर्फ कुछ समय में किसी का आकलन करना बहुत मुश्किल है।हम जिसे बहुत अच्छा समझते है,उसे कोई दूसरा बहुत खराब समझता है।हम किसी की अच्छाई पर काम और बुराई पर ज्यादा ध्यान देते है।
सटीक जीवन दर्शन विश्लेषण
D C Bhavsar
हिटलर युद्ध हार गया, अगर जीत जाता तो किस को चुनते
क्या बात है सर.. वाह.. 👍👏 Dont be Judgemental.. व्यक्ति को पूर्णतया जानने से पहले उसके बारे में राय नहीं बनानी चाहिए. बधाई सर 🙏🌹
Very good article, it's true that we can't judge a person by our own standard!
S N Roy
Very good article Sir
पिताश्री अप्रतिम लेख, एकदम सटीक। पढ़ने के बाद सोचने पर मजबूर हो जाते है कि क्या किसी का चरित्र ऐसा है। यहाँ पर श्री जमशेद sir के लिखे हुए शब्द सही है। परिस्थिति के अनुसार ही व्यवहार बदलता है. पिताश्री को सादर नमस्कार व चरण स्पर्श 🙏
बहुत ही अच्छा उद्धारहण किंतु सोचने पर मजबूर हो जाते है कि किसे व्यक्ति का सही आकलन कैसे किया जाये
Dr s k agrawal
बहुत विवेक पूर्ण analysis.
साधुवाद
Bhai sahab you have Very nicely elaborated the difference between character and habit, undoubtedly the above said examples teaches us how to act while making any opinions about a person while coming to a conclusions. Really a eye opening story.
Kind Regards
Sandeep Joshi
बहुत ही प्रेरणादायक लेख हर व्यक्ति के अंदर कुछ न कुछ खूबी जरूर होती है बस उसे सही दिशा की आवश्यकता होती है हमें किसी भी व्यक्ति को उसके चेहरे एवम आदत से नहीं आंकना चाहिए
प्रिय अनिल,
सही कहा। जिन खोजा तीन पाइयां। हार्दिक आभार
Dear Sandip,
You're right. We should look in to inner self of a person and not outer appearance. With affection
हार्दिक आभार मित्र
किशोर भाई,
यही तो हमारी भी परीक्षा भी है। हार्दिक आभार सहित
प्रिय हेमंत,
सही कहा जमशेद जी का जुड़ना हम सब के लिए गौरव की बात है। सस्नेह
Thanks very much Friend
Thanks very very much sir. Kind regards
प्रिय रजनीकांत
सही कहा। हार्दिक आभार
अत्यन्त सुन्दर चित्रण। कोई व्यक्ति कब कैसा व्यवहार करता है, यह उसकी मानसिक संरचना पर निर्भर करता है। पत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण एवं विषेशता होती है, जो दूसरे व्यक्ति में नहीं होती है। इस कारण हर व्यक्ति दूसरे से अलग होता है। इन्ही गुणों से व्यक्तित्व का विकास होता है। अतः व्यक्तित्व का अर्थ गुणों से है न कि उसके बाह्य रुप से। पुनःश्च
आप का साधुवाद।
सर आनंद आ गया पढ़कर। मैं आपकी लेखनी का सदैव कायल रहा हूँ। आज बहुत दिनों के बाद इतना सुंदर व्याख्यान पढ़ने को मिला। कितने सरल सौम्य भाषा मे आपने जीवन के इस गूढ़ रहस्य को समझा दिया । इसके लिये आपको कोटि कोटि साधुवाद।
मनोज नीलांवर
प्रिय बंधु कृष्णकांत,
सही कहा। हमें तो इंसान का शुक्ल पक्षी योगदान ही देखना चाहिये। हार्दिक आभार
प्रिय भाई मनोज,
आपका तो स्वभाव, समर्पण, योगदान इत्यादि सब कुछ अद्भुत एवं सौम्य है। सो हार्दिक बधाई सहित सस्नेह
प्रिय भाई अनिल
हार्दिक आभार सहित
तब तो सर बहुत दुविधा हो जाती। हार्दिक आभार सहित सादर
बहुत सुंदर बात कही। सब मिले पर इंसान की खोज कठिन है। हार्दिक आभार
हार्दिक आभार सहित सादर
प्रिय भाई अनिल
सही कहा। हम क्यों उलझें तुलना में। जो अच्छा है उसकी कद्र करें। हार्दिक आभार सहित
Res. Ananda Ji
Thanks very very much for your connectivity with colleagues. Kind regards
हार्दिक आभार मित्र
हार्दिक आभार मित्र
प्रिय बंधु संदीप
हार्दिक आभार
आदरणीया
आप बहुत विद्वान हैं और इस मायने में आपकी प्रतिक्रिया बहुत सुख और संदेश देती है। सो हार्दिक आभार सहित सादर
हार्दिक आभार मित्र
इश्क की गहराइयों से खूबसूरती क्या है
मैं हूं, तुम हो, कुछ और किसी की ज़रूरत क्या है
हार्दिक आभार मित्र
इश्क की गहराइयों से खूबसूरती क्या है
मैं हूं, तुम हो, कुछ और किसी की ज़रूरत क्या है 🌹
🙏
सादर प्रणाम sir
सदैव ही नए दृष्टंतों ,प्रतिकों ,बिंबों की अद्वितीय सजावट से आपकी लेखनी मन को पुलकित कर देती हैं।इतना अभिनव उदाहरण है कि व्यवहार एवम् आकलन की परिभाषा ही बदल गई।बहुत शानदार और प्रेरक आलेख।
😊
आदरणीय सर,
बहुत ही सुंदर लेख, बहुत ही बढ़िया उदारहण के साथ ।
आदमी है आदमी, सोना नहीं, चाँदी नहीं ।
आदरणीया,
आप विद्वान होने के साथ ही साथ पारखी भी हैं और शून्य को शिखर बना देने का सामर्थ्य रखती हैं। हार्दिक आभार सहित सादर
प्रिय शरद,
हार्दिक आभार। सस्नेह
जोरदार शानदार लेखन
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