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Jul 7, 2024

लघुकथाः प ह चा न

  - पद्मजा शर्मा

रात अभी इतनी भी गहराई नहीं थी। इक्के दुक्के लोग वाकिंग पर निकले हुए थे। कुछ लोग आ जा रहे थे। बहता रास्ता था।  अचानक चीख पुकार मच गई। राह चलती महिला को किसी गुंडे ने छेड़ दिया। उसका पति साथ में था। पति ने विरोध किया तो गुंडे ने उसकी भी मार पिटाई कर दी। वे पति पत्नी दोनों चिल्लाए। इधर उधर से लोग इकट्ठे हो गए। गुंडा भागने लगा, तो लोगों ने उसे पकड़ लिया। पुलिस को फोन कर दिया। गश्त लगा रही पुलिस की गाड़ी दस मिनिट में आ गई।

इंस्पेक्टर ने भीड़ में खड़ी लड़की की ओर मुखातिब होते हुए भीड़ से कहा– अपने अपने घर जाइए। वाकिंग दिन में कर लिया करें। रात का समय रिस्क नहीं लेना। गुंडों को गुंडागर्दी करने का मौका ही क्यों दें ?

लड़की ने कहा -इंस्पेक्टर साहब ऐसे मवालियों के डर से क्या हम घर में घुसकर बैठ जाएँ। ऐसे गुंडों को जेल में डालिए। आप हमें घर में घुसने की नसीहत क्यों दे रहे हैं?

पुलिस स्टेशन ले जाकर इंस्पेक्टर ने कुछ सोचते हुए गुंडे से पूछा –तुमने उस औरत को छेड़ा, जिसका पति साथ में था। वहाँ तो अकेली लड़की भी घूम रही थी। उसको नहीं छेड़ा। इसका कारण?

गुंडे ने बताया -साहब उस लड़की की चाल -ढाल से लग रहा था, अगर छेड़ दूँगा तो मुझे पटकनी दे देगी। मेरा आत्मविश्वास डगमगा गया उसे देखकर। जबकि मैं गया तो उसे ही छेड़ने था। मुझे वे पति पत्नी डरे- सहमे- से लगे, तो मेरी हिम्मत हो गई छेड़ने की। साहब आपके आने से पहले उस लड़की ने मुझे चार थप्पड़ जड़े हैं। गालों पर छापे पड़ गए होंगे। मैं तो उस रास्ते पर अब कभी नहीं आऊँगा। वह इलाका उस लड़की का है साहब ।  

सम्पर्कः 15 – बी, पंचवटी कॉलोनी ,सेनापति भवन के पास, रातानाडा, जोधपुर (राज.) 342011, मो. 9414721619, email-  padmjasharma@gmail.com


1 comment:

Anonymous said...

बहुत ख़ूब । सुदर्शन रत्नाकर जी