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आप कतार में हैं .... कृपया प्रतीक्षा कीजिए। किसी ने कान में फुसफुसाहट से जरा ज्यादा तेज आवाज में कहा तो शरीर में जान जैसी कुछ आई, मैंने पूछा- क्यों भई !! कतार में क्यों हैं?
शमशान में लकड़ी खत्म हो गई है। उसने बताया।
कब आएगी लकड़ी! ?
कुछ कहा नहीं जा सकता है। अभी तो वृक्षारोपण चल रहा है।
वृक्षारोपण चल रहा है !! क्या मतलब है आपका?
यही कि आप कतार में हैं , कृपया प्रतीक्षा कीजिए।
ऐसा कैसे हो सकता है! बिजली वाला शवदाहगृह भी तो है।
हां है, लेकिन बिजली लगातार नहीं आती है। अभी भी बिजली नहीं है ...यूनो ..पावर कट।
तो ! बिजली आने में कितनी देर लगेगी ! ग्यारह बजे तक तो आ जाती है।
हां, आ जाती है लेकिन वोल्टेज बराबर नहीं रहते हैं कभी।
वोल्टेज कम होते हैं ना ? इसमें दिक्कत क्या है, थोड़ा ज्यादा समय लगेगा और क्या।
ना , यह संभव तो है पर उचित नहीं है।
इसमें क्या मुश्किल है ?!
आप वेज हैं या नानवेज ?
वेज।
आपने बेकरी में मैदे को डबलरोटी में बदलते देखा है ?
डबलरोटी !
सोच लीजिए , आप राख होना चाहेंगे या डबलरोटी।
अगर नानवेज होता तो ?!
तो तंदूरी- विदाउट- मसाला हो जाते लेकिन राख नहीं।
लेकिन भइया, प्रतीक्षा का टाइम किसके पास है आजकल। शवयात्रा शुरू होने के पहले ही घड़ी देखने लगते हैं लोग।
मजबूरी है साहब, मैं कुछ नहीं कर सकता।
कुछ ले- लेवा कर रास्ता निकालो ना। लोगों का समय खराब हो रहा है।
किसका समय ?
जो मुझे शमशान पहुंचाने आए हैं।
शवयात्रा में शामिल लोग?!
और नहीं तो कौन! मेरे रिश्तेदार, मित्र, कवि-लेखक.... सब।
वे सब जा चुके हैं। उसने बताया।
अंतिम संस्कार किए बगैर!!
क्या करते बेचारे ..... आप कतार में जो हैं ....।
बिना शोकसभा और शोक-भाषण के !! ...... ऐसे ही छोड़ कर चले गए !!
ऐसे कैसे चले जाएंगे ! रसीद ले गए हैं।.... अब आप बाकायदा कतार में हैं।
कब तक रहना होगा कतार में ?
अभी तो सन् 2022 चल रहा है। जनवरी 2028 तक तो चिता-फु ल है।
इतना वेटिंग !! सोलर उर्जा का कोई सिस्टम नहीं है क्या ?
वैज्ञानिक लगे पड़े हैं , पर मशीन बनाने में दिक्कत आ रही है। अभी तो उसमें रोटी भी नहीं सिंकती है, मुर्दा क्या जलेगा।
2028 तक तो घर वाले भूल जाएंगे मुझे।
हम नहीं भूलने देंगे। यहां से रिमाइंड लेटर जाता है कि आपके मुर्दे का नंबर आ गया है।
इतना झंझट था तो आप लोगों को यह सब पहले बताना चाहिए। मैं पांच साल पहले ही अपना आरक्षण करवा लेता। बिना आरक्षण मैंने कभी रेलयात्रा नहीं की, अंतिम यात्रा में फंस गया। तत्काल जैसी कोई व्यवस्था नहीं है क्या?
इतने ही समझदार थे तो देहदान क्यों नहीं कर दी? ... कोई झंझट नहीं होता।
देहदान ! ... सरकारी अस्पताल में जिन्दा देह से ही वे इतना कुछ सीख जाते हैं कि मरी देह में उनकी कोई रुचि नहीं रह जाती है।
तो फिर कम से कम पांच पेड़ लगाना चाहिए थे, अपने मुर्दा शरीर का इंतजाम आप खुद नहीं करोगे तो नगर निगम के भरोसे में कतार ही मिलेगी। पहले तो ठीक से काम करते नहीं हो बाद में नखरों का बाजा बजाने लगते हो।
शिकायत मत करो। शिकायतें सुन सुन कर ही मरा हूं मैं। अब क्या हो सकता है बताओ।
बड़ा मुश्किल है। चिल कव्वे भी तो लुप्त हो गए हैं ससुरे ! वरना कोई उम्मीद रहती।
तो क्या चील-कव्वों को खिलवा देते!?
मजबूरी का नाम ... यू नो। कहो तो समुद्र में फिंकवा दें ?
समुद्र! .... समुद्र तो खारा होता है। नमक ही नमक।
अच्छा है ना, मछली उपवास पर हुईं तो भी जल्दी गल जाओगे।
मुझे नमक से परहेज की आदत हो गई है। ब्लडप्रेशर .... यूनो।
फिर तो सारी है जी, आप कतार में हैं.... कृपया प्रतीक्षा कीजिए।
इतनी लंबी प्रतीक्षा कैसे संभव होगी ?
ज्यादा दिक्कत नहीं है। यहां दिनभर सारे मुर्दा पड़े सोते रहते हैं और रात भर अंताक्षरी खेलते हैं।
संपर्क- 16 कौशल्यापुरी, चितावद रोड़, इन्दौर- 452001
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