वर्ष- 16, अंक -12
सफल होने के लिए आपको अकेले चलना होगा। लोग तो तब आपके साथ आते हैं जब आप सफल हो जाते हैं। - सुभाषचंद्र बोस
अनकहीः प्रश्न संसद की गरिमा और प्रतिष्ठा का - डॉ. रत्ना वर्मा
शिक्षाः पाठ्य पुस्तकों में आर्यों का बदलने लगा इतिहास - प्रमोद भार्गव
आलेखः राम कथा – अनन्ता - यशवंत कोठारी
धरोहरः प्राचीन शहर हम्पी - अपर्णा विश्वनाथ
चिंतनः वह एक पल और ज़िन्दगी... - प्रियंका गुप्ता
खानपानः आम फलों का राजा क्यों है? - डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन
जल- प्रबंधनः परंपरागत जल- संरक्षण की बढ़ती उपयोगिता - भारत डोगरा
प्रेरकः प्रयास की दिशा - निशांत
आलेखः सामाजिक चेतना को उन्नत करता है पर्यटन - मीनाक्षी शर्मा ‘मनस्वी’
व्यंग्यः आम आदमी - रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु ’
कहानीः मेरा क्या कसूर है पापा - स्नेह गोस्वामी
लघुकथाः राँग नंबर - राजेश पाठक
कविताः आखिर... प्रेम ही क्यों? - अर्चना राय
रपटः व्यंग्य, परसाई और जबलपुर - विनोद साव
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