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Jul 7, 2024

कविताः कुछ पल

 
 - सुरभि डागर

कुछ पलों में 

बड़ा मुश्किल होता है 

भावों को शब्दों में पिरोना,

बिखर जाते हैं कई बार

हृदय तल में 

मानों धागे से मोती 

निकल दूर तक

छिटक रहे हों ।

अनेकों प्रयास किए

समेटने के

परन्तु  छूट ही जाते कुछ 

मोती और

तलाश  रहती है बस धागे में 

पिरोकर माला बनाने की

रह जाती है बस अधूरीसी कविता

कुछ गुम हुए 

मोतियों के बिना ।

1 comment:

Anonymous said...

सुंदर कविता सुदर्शन रत्नाकर