केला-
अनूठा फल निराला स्वाद
- डॉ. ओ. पी. वर्मा
केला सर्वसुलभ,
सदाबहार, सस्ता, स्वास्थ्यवर्धक
और स्वादिष्ट फल है। केले का वानस्पतिक नाम मूसा सेपियेंटा है जिसका मतलब बुद्धिमान
व्यक्ति का फल होता है। केला दुनिया के सबसे पुराने और लोकप्रिय फलों में से एक
है। केले की गिनती हमारे देश के उत्तम फलों में होती है और हमारे मांगलिक कार्यों
में भी विशेष स्थान दिया गया है। केले को असमिया में कोल, बंगला
में काला, गुजराती में केला, कन्नड़
में बाले गिड़ाया बालेहन्नु, कोंकणी में केल, मलयालम में वझा, मराठी में कदलीद्व या केल, उडिय़ा में कोडोली या रोम्भा, तमिल में वझाई, तेलुगु में आसी, अंग्रेजी में बनाना (Banana) नाम से पुकारा जाता है। प्लेण्टेन(Plantain)
प्रजाति का केला मीठा नहीं होता है और सब्जी के रूप में खाया जाता है।
निसंदेह सेब बहुत अच्छा और
स्वास्थ्यप्रद फल माना जाता है इसीलिए An apple a day
keeps doctor away कहावत बड़ी मशहूर रही है। लेकिन ताजा शोध यह
बताती है कि आपको डॉक्टर से दूर रखने में केला सेब से भी आगे निकल गया है। क्योंकि
केले में सेब से दुगुने कार्बोहाइड्रेटव खनिज तत्त्व, तिगुना
फोस्फोरस, चार गुना प्रोटीन और पांच गुना विटामिन-ए व आयरन
होता है। इसलिए सोच बदलिए, डॉक्टर को अकेला छोडिय़े, रोज केला खाकर स्वस्थ बने रहिये।
केला बुद्धिमान एवं विवेकी
व्यक्तियों का प्रिय आहार है। केले का सम्बन्ध विद्या एवं बुद्धि से है,
क्योंकि हमारे शास्त्रीय मतों के अनुसार विद्या बुद्धि के स्वामी
भगवान बृहस्पति जी का वास केले पर होता है, इसीलिए हिन्दू
धर्मावलम्बियो के अनुसार केले के पेड़ की पूजा बृहस्पतिवार के दिन करने का विधान
है। हिन्दू पूजा पाठ में भी केले, उसके पत्ते एवं वृक्ष को
भी अति पावन स्थान प्राप्त है।
केले का इतिहास
केले की उत्पत्ति लगभग 4000 वर्ष पूर्व मलेशिया में हुई। यहाँ से केला फिलिपीन्स और भारत पहुँचा।
क्राइस्ट से 327 वर्ष पहले सिकंदर हिन्दुस्तान के केलों को
यूरोप लेकर गया। फिर अरब के सौदागरों ने केलों को अफ्रीका में बेचना शुरू किया।
सन् 1482 में पुर्तगालियों ने अमेरिकी महाद्वीप को निर्यात करना शुरू किया।
लेकिन यू.एस.ए. के लोग केले का स्वाद 19 वीं शताब्दी के
आखिरी सालों में ही चख पाये। उसके बाद तो केला पूरी दुनिया का चहेता फल बन गया। आज
सभी उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय देशों जैसे भारत, चीन,
फिलिपीन्स, इक्वाडोर, ब्राजील,
इंडोनेशिया, तंजानिया, एंगोलाऔर
मेक्सिको में खूब केला पैदा होता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा केला उत्पादक देश
है और अब दुनिया भर के बाजारों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए तैयार है। इसलिए
निकट भविष्य में केला महँगा हो सकता है। हमारे यहाँ केले का सालाना उत्पादन 29.6 बिलियन किलो (220,000,000,000 केला) होता है।
पोषक तत्त्व
केले में पोटेशियम,
कैल्शियम, मैग्नेशियम, मैगनीज,
कापर, आयरन, फास्फोरस,सल्फर, आयोडीन,अल्युमीनियम,
जिंक, कोबाल्ट, साइट्रिक
एसिड, मैलिक एसिड,आक्जेलिक एसिड आदि
तत्त्व होते हैं।
केले के बारे में कुछ रोचक और
निराले तथ्य
-केले को कभी भी रेफ्रिजरेटर में
नहीं रखना चाहिए।
-मच्छर काटने पर केले का छिलका
रगडऩे से आराम मिलता है।
-केला मन और शरीर को ठंडक प्रदान
करता है। इसलिए थाईलैंड में गर्भवती नारियाँ केला खाना पसंद करती हैं, ताकि उनका
शिशु शांत प्रकृति का पैदा हो।
-केले की 500 प्रजातियाँ होती हैं। आस्ट्रेलिया की एक प्रजाति के केले लाल होते हैं और
पकने पर स्वाद में स्ट्रॉबेरी की तरह लगते हैं।
-केला क्षारीय माना जाता है।
-अधिकतर फलों के विपरीत केला पेड़
पर नहीं बल्कि एक सदाबहार पौधे पर पैदा होता है। इसका तना कई पत्तियों के जुडऩे और
चिपकने से बनता है। केले के गुच्छे को हैंड और एक केले को फिंगर कहते हैं।
-केले का छिलका भी बहुत उपयोगी
है। इसके अंदर के हिस्से को मुहाँसे या मस्से पर रगडऩे से वे सूख जाते हैं। इसे
चमड़े के जूतों पर रगडऩे से वे चमक उठते
हैं। केले का छिलका गुलाब के लिए बढिय़ा खाद का काम करता है।
स्फूर्ति और शक्तिदायक केला
केले में सुक्रोज,
फ्रुक्टोज और ग्लुकोज नाम की तीन प्राकृतिक शर्कराएँ होती हैं।
इसलिए केला तुरंत शक्ति देता है। शोधकर्ता बतलाते हैं कि सिर्फ दो केले खाने से 90 मिनट तक वर्कआउट करने की ऊर्जा मिल जाती है। इसलिए केला अधिकतर खिलाड़ी
और पहलवानों का पसंदीदा फल है। लेकिन पर्याप्त फाइबर होने की वजह से कच्चे केले का
ग्लायसीमिक इंडेक्स 30 और पके केले का 60 होता है। इसका मतलब इसका सेवन करने से ब्लड शुगर झटके से उछाल नहीं मारती
बल्कि आहिस्ता से बढ़ती है, अत: इसे डायबिटीज में खाया जा
सकता है। केले में आयरन भी पर्याप्त होता है, इसलिए यह खून
की कमी भी दूर करता है।
बुद्धिमान और खुशहाल बनाए केला
बच्चों के बुद्धिमान बनाना है,
तो उन्हें केला जरूर खिलाइए। केला खिलाने से विद्यार्थी ऊर्जावान्,
सक्रिय और सतर्क हो जाते हैं। केले में ट्रिप्टोफेन, सीरोटोनिन और इपिनेफ्रीन होते हैं जो हमें खुश और तनावमुक्त रखते हैं और
डिप्रेशन दूर करते हैं। केले में कॉपर, मेग्नीशियम और
मेंगनीज भी होता है। साथ ही इसमें भरपूर विटामिन बी-6 होता
है जो जो मस्तिष्क और नाडिय़ों के लिए बहुत जरूरी माना जाता है और यह अनिद्रा,
व्याकुलता दूर करता है तथा मूड सही रखता है।
हृदयरोग
केला पोटेशियम का बहुत बड़ा स्रोत
है। जी हाँ, एक केले में भरपूर 467 मिलिग्राम पोटेशियम होता है जबकि सोडियम मात्र 1
मिलिग्राम होता है। इसलिए रोज एक या दो केला खाने से आपको रक्तचाप और
ऐथेरोस्क्लिरोसिस होने का खतरा नहीं होगा। पोटेशियम हृदय गति को नियंत्रित रखता है
और शरीर में जल के स्तर को सामान्य बनाये रखता है। शोधकर्ताओं ने सिद्ध किया है कि
जो लोग अपने आहार में पोटेशियम, मेग्नीशियम और फाइबर अधिक
लेते हैं उन्हें स्ट्रोक होने का जोखिम भी बहुत कम रहता है।
आहार तंत्र
केला आमाशय में होने वाले
गेस्ट्राइटिस और अल्सर से सुरक्षा प्रदान करता है। केला दो तरह से आमाशय की रक्षा
करता है। एक तो केला आमाशय की आंतरिक सतह की कोशिकाओं को प्रोत्साहित करता है ,जिससे
वे श्लेष्मा (म्युकस) की मोटी सुरक्षात्मक परत बनाती हैं जो अम्ल से होने वाली
क्षति से आमाशय की रक्षा करती है। दूसरा केले में प्रोटिएज इन्हिबीटर्स नाम के
तत्त्व होते हैं जो अल्सर बनाने वाले एच. पाइलोराई और अन्य जीवाणुओं का सफाया करते
हैं। केला बहुत जल्दी पचता है इसलिए छोटे बच्चों के लिए यह अच्छा भोजन है।
केला आहार पथ को गतिशील और स्वस्थ
रखता है। दस्त लगने पर इलेक्ट्रोलाइट्स की एकदम कमी हो जाती है। ऐसे में केला खाने
से हमें तुरंत पोटेशियम मिल जाता है जो हृदय की कार्य-प्रणाली को नियमित करता है
और तरल की स्थिति संतुलित करता है।
केले में पेक्टिन नामक घुलनशील
फाइबर (जिसे हाइड्रोकोलॉयड भी कहते हैं) होता है जो आहार पथ को गतिशील रखता है और
कब्ज में राहत देता है। केले में कुछ जटिल स्टार्च भी होते हैं जो आँतो का शोधन
करते हैं और सुकून देते हैं।
आँख की ज्योति बढ़ाता है
आहारशास्त्री कहते हैं कि
एंटीऑक्सीडेंट विटामिन ए, सी और ई और
केरोटिनॉयड्स से भरपूर केला और अन्य फलों का सेवन करने से ऐज रिलेटेड मेक्यूलर
डिजनरेशन (ARMD) का जोखिम कम होता है। यह रोग वृद्धावस्था
में दृष्टि दोष का बड़ा कारण माना जाता है।
हड्डियों को मजबूत बनाता है केला
केला खाने से हड्डियाँ मजबूत होती
हैं। केला कैल्शियम के अवशोषण और चयापचय को कई तरह से उत्साहित करता है। पहले तो
केला फ्रुक्टोऑलिगोसेकेरॉयड नामक प्रिबायोटिक का बहुत अच्छा स्रोत है जो हमारी
बड़ी आँत में हितकारी जीवाणुओं का पोषण करते हैं। ये हितकारी जीवाणु विटामिन्स और
पाचक एंजाइम्स बनाते हैं जो कैल्शियम समेत कई पोषक तत्त्वों का अवशोषण और हानिकारक
जीवाणुओं से रक्षा करने वाले यौगिकों का निर्माण बढ़ाते हैं। जब आँत के हितैषी
जीवाणु फ्रुक्टोऑलिगोसेकेरॉयड को फर्मेंट करते हैं तो प्रोबायोटिक्स की सेना बढ़ती
है,
कैल्शियम का अवशोषण प्रोत्साहित होता है और आँते गतिशील रहती हैं।
किडनी कैंसर में कारगर है केला
इंटरनेशनल जरनल ऑफ कैंसर में
प्रकाशित शोध के अनुसार रोजाना सब्जियों और फलों की औसत 2.5 सर्विंग लेने वाली स्त्रियों में किडनी के कैंसर की दर में 40ऽ कमी देखी गई। इनमें केला सबसे कारगर साबित हुआ।
एच.आइ.वी.
केले में बेनलेक नाम का लेक्टिन
प्रोटीन होता है जो शर्करा से मिल कर एच.आइ.वी. संक्रमित कोशिका के चारो तरफ एक
चक्रव्यूह की रचना कर डालता है, जिससे
एच.आइ.वी. वायरस का विकास और प्रसार बुरी तरह प्रभावित होता है। इसलिए एच.आई.वी.
रोग में केला कल्याणकारी माना गया है।
आयुर्वेद में केले के प्रयोग
केला खाए ताकतवर हो जाये - केला
रोचक,
मधुर, शक्तिशाली, वीर्यवर्धक,
शुक्रवर्धक, मांस बढ़ाने वाला और नेत्रदोष में
हितकारी है। पके केले के नियमित सेवन से शरीर पुष्ट होता है। यह कफ, रक्तपित, वात और प्रदर के विकारों को नष्ट करता है।
पेचिश रोग- में थोड़े-से दही में
केला मिलाकर सेवन से फायदा होता है। पेट में जलन होने पर दही में चीनी और पका केला
मिलाकर खाए। इससे पेट सम्बन्धी अन्य रोग भी दूर होते हैं। अल्सर के रोगियों के लिए
कच्चे केले का सेवन रामबाण औषधि है।
खाँसी- एक पके केले में आठ साबुत
काली मिर्च भर दें, वापस छिलका लगाकर
खुले स्थान पर रख दें। शौच जाने के पूर्व प्रात: काली मिर्च निकालकर खा जाएँ,
फिर ऊपर से केला भी खा जाएँ। इस प्रकार कुछ दिन करने से हर तरह की
खाँसी ठीक हो जाती है। अगर किसी को काली खाँसी हो गयी है तो केले के तने को सुखाकर
फिर जलाकर जो राख बचती है वह दो-तीन चुटकी लीजिए और शहद मिला कर चटा दीजिए। काली खाँसी
जड़ से खत्म हो जाएगी।
जलने के घाव- आग से शरीर का कोई
हिस्सा जल गया हो तो वहाँ केले को मसल कर रख दीजिये और ऊपर से पट्टी बाँध दीजिए।
जलन भी कम होगी और घाव भी ठीक होगा।
मूत्राशय की पथरी- केले के तने की
भस्म को पानी में घोल कर पीने से मूत्राशय की पथरी गल कर निकल जाती है। केले का रस
पीने से खुल कर पेशाब आता है और मूत्राशय साफ़ हो जाता है। जिससे देह में संचित रोग
के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। केला अगर एक
निश्चित मात्रा में रोज खाया जाए तो ये किडनी को मजबूत बनाता है।
संग्रहणी- किसी को संग्रहणी की
शिकायत हो तो वह पके केले के साथ इमली और नमक खाए, यह मिश्रण संग्रहणी दूर कर देता है। हैजे से ग्रसित रोगी को सुबह शाम एक
एक पका केला जरूर खिलाना चाहिए।
साँस की बीमारी- साँस से सम्बन्धित
कोई भी बीमारी हो तो एक केला लीजिए,उसमे
बीच में चीरा लगाकर काली मिर्च का 3-4 ग्राम पावडर भर के रात
भर रख दीजिए। सवेरे इस केले को तवे पर ज़रा सा देशी घी डाल कर सेंक कर खा लीजिए। 3 दिन लगातार इस्तेमाल करे। सांस की बीमारी ख़त्म हो जाएगी।
बबासीर- एक केले को बीच से चीरा
लगाकर चना बराबर कपूर बीच में रख दे फिर इसे खाए इससे बबासीर एकदम ठीक हो जाती है।
मधुमेह- केले के फूलों का सत मिल
जाए तो इसे ब्लड सुगर को कंट्रोल करने के लिए रोजाना एक चुटकी खा लीजिये। यह बहुत
अचूक दवा है।
दोस्तों,
एक बुरी खबर है आज पूरे विश्व में केले की जितनी भी प्रजातियाँ
उपलब्ध हैं वे सभी पीले रंग की केवेंडिश प्रजाति से ही विकसित की गई हैं। हो सकता
है बीमारी के कारण निकट भविष्य में यह प्रजाति पूरी तरह लुप्त हो जाये।
अनुसंधानकर्ता यह मानते हैं कि अगले 20 वर्षों में ऐसा हो
सकता है।
पहले भी एक बार ऐसा हो चुका है।
पुराने जमाने में ग्रोस मिशेल प्रजाति का
केला प्रचलित था जो बहुत स्वादिष्ट था, शैल्फ
लाइफ भी ज्यादा थी और बड़ा भी होता था। पिछली सदी के आरंभ में यह प्रजाति एक
बीमारी के कारण एकदम लुप्त हो गई। इसीलिए कृषि वैज्ञानिक केले की ऐसी प्रजाति
विकसित करने कोशिश कर रहे हैं जिसे बीमारी नष्ट नहीं कर सके। इसलिए मजे ले लेकर
खूब केले खाइए, ताकि आप अपनी औलादों को बतला तो सकें कि
केवेंडिश केला कितना स्वादिष्ट लगता था।