उदंती.com को आपका सहयोग निरंतर मिल रहा है। कृपया उदंती की रचनाओँ पर अपनी टिप्पणी पोस्ट करके हमें प्रोत्साहित करें। आपकी मौलिक रचनाओं का स्वागत है। धन्यवाद।

May 3, 2021

ग़ज़लः वक़्त है बेरहम

  -प्रीति उम्मीद

राह को क्यों न मंज़िल, बना लें अभी

दर्द ही पर तबस्सुम, सजा लें अभी।।

 

रोज़ ला कहर ज़िन्दगी, क्या करे

हौसले आप अपने, बढ़ा लें अभी।।

 

वक़्त है बेरहम सूझता कुछ नहीं

कहकहों का यहीं घर, बसा लें अभी।।

 

क्या सुने क्या कहें, मौत गर आ ग

खास बातें दिलों की, सुना लें अभी।।

 

जो चले रूठकर, स्याह हो रहगुज़र

ज़िन्दगी कोई शम्मा जला लें अभी।।

 

रंग उम्मीदउसका निखरता रहे

खून मेंरे रगों का, बहा लें अभी।।

No comments: