उदंती.com को आपका सहयोग निरंतर मिल रहा है। कृपया उदंती की रचनाओँ पर अपनी टिप्पणी पोस्ट करके हमें प्रोत्साहित करें। आपकी मौलिक रचनाओं का स्वागत है। धन्यवाद।

May 3, 2021

कविताः सूरज ले आएँ

    -रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

     बहुत अँधेरा है

    बहुत उदासी है

    हवा बेरहम है

    कितनी प्यासी है!

    चीर अँधेरों को

    सूरज ले आएँ।

   आँसू हम पोंछें,

   ज़रा मुस्कुराएँ।

   निराशा को छोड़ें,

   चलो गुनगुनाएँ।

   दुखी सृष्टि के सब,

   दुख छीन लाएँ।

1 comment:

Sudershan Ratnakar said...

चीर अँधेरों को
सूरज ले आएँ। समसामयिक, सकारात्मक सोच लिए बहुत सुंदर कविता।