- नमिता सुंदर
सूरज डूबने से पहले (लघुकथा-संग्रह ): प्रेरणा गुप्ता, प्रकाशक : बोधि प्रकाशन – जयपुर, : सुंदर अय्यर ,पृष्ठ : 220, मूल्य : ₹ 250/-
'सूरज डूबने से पहले', सुश्री प्रेरणा गुप्ता का प्रथम लघुकथा संग्रह है। संग्रह प्रथम है पर लघुकथा लेखन के क्षेत्र में प्रेरणा गुप्ता खासा परिचित हस्ताक्षर है। बहुत ही कम समय में इस विधा के पटल पर अपनी पहचान स्थापित कर लेने के लिए लेखिका बधाई की पात्र तो हैं ही, साथ ही यह तथ्य सुस्पष्ट करता है कि आपकी लघुकथाओं में ‘बात’ तो है।
121 लघुकथाओं के संकलन 'सूरज डूबने से पहले' की लघुकथाओं में कथा तत्त्व की विविधता के साथ ही साथ विषय के अनुसार कहन को ढालने का लेखिका का कौशल भी सहज रूप से परिलक्षित होता है। इन लघुकथाओं से गुज़रते हुए आपको अनुभव होगा कि बहुत आम-सी बात, घटना में भी कथा तत्व खोज लेना लेखिका की विशेषता है। हमारे आस-पास ही उगती हैं ये कथाएँ। अविरल बहती दिनचर्या में काँटा डाल, ध्यान लगा बैठने की जरूरत नहीं होती। लेखिका को कथा का फ्रेम बुनने में वरन् बहती धार में इनका निशाना ठीक वहीं लगता है, जहाँ कथा डूब-उतरा रही होती है।
गूढ़ बातों, सिद्धांतों और आदर्शों को जन साधारण के मानस में गहरे पैठाने के लिए कथा, कहानियों और किस्सों को हमेशा से ही माध्यम बनाया जाता रहा है, लेकिन लघुकथा जैसे शब्द सीमा से बँधे माध्यम के जरिए सामाजिक विसंगतियों को उकेरना, उनके दुष्परिणामों को सामने लाना आदि को कुशलता पूर्वक कर गुज़रना आसान नहीं है और वह भी बहुत ही सहज भाषा में कुछ इस ढंग से कि बात, कथा पढ़ते-पढ़ते मर्म तक सीधे पहुँचे और घर भी करे, किंतु इस संकलन की लघुकथाओं ने यह बखूबी कर दिखाया है।
संकलन में एक कथा है, ‘कृष्णा प्यारी’। गोरे रंग के प्रति आसक्ति की हद तक लगाव हमारे समाज की बहुत बड़ी विडम्बना है, जिसके चलते न जाने कितनी साँवली-सलोनी लड़कियाँ बहुत कुछ झेलती हैं। इस विडम्बना को इस कथा में बच्चे की मालिश करती माँ और बुआ सास के बीच की बातचीत के माध्यम से बहुत कलात्मकता से उभारा गया है और इतना ही नहीं बहुत सहजता से यह संदेश भी दे दिया गया है कि महत्वपूर्ण बाह्य सौंदर्य़ नहीं वरन् विचार और मन है।
‘आदम खुदा तो नहीं’, कथा में गृहिणी घर में काम करने वाली से करवा चौथ की पूजा के लिए बाजार से करवा लाने को कहती है। गहरे बैठी सामाजिक धारणाओं और प्रथाओं के चलते विधवा नौकरानी यह काम करने को सहमत नहीं होती किंतु गृहिणी द्वारा उसी से करवा मँगवाना और करवा पर शुभ चिह्न बनवाना, मानव संवेदनाओं को घायल करती रूढ़ियों को तोड़ने और सामाजिक बदलाव के लिए प्रेरित करता है। विधवा स्त्री को अपशकुन मानना हमारी बहुत बड़ी सामाजिक कुरीति है और इस सोच को तोड़ने के लिए समय-समय पर बड़े आंदोलन हुए हैं, किंतु यह कथा न बहुत सहज रूप से अंधकार में रोशनी की अलख जगाती है।
पति-पत्नी के नाजुक संबंध के संवेदनात्मक पहलुओं को बहुत सटीक एवं सशक्त प्रतीकों के माध्यम से उजागर किया गया है, कथा ‘धुआँ’ और ‘चमगादड़’ में। 'धुआँ' में सब्जी बनने जैसी रोजमर्रा और साधारण-सी प्रक्रिया को उपेक्षित पत्नी के मन में खदबदाते दर्द से लेखिका ने इतनी खूबसूरती से जोड़ा है कि कथा का कलात्मक पक्ष हमें प्रभावित कर जाता है।
कथा में प्रतीक के प्रभावी उपयोग का एक और उदाहरण है, 'चमगादड़'। पत्नी का दर्जा दोयम होने की सामाजिक विसंगति, पत्नी को डरा-धमकाकर रखने को पति होने की अनिवार्यता मानने की सोच को बहुत प्रभावी ढंग से कहा गया है इस कथा में। अंत में अपने भीतर बैठे भय को बाहर करने के लिए पत्नी का कमर कसना तथा सारा घटना क्रम, उतार- चढ़ाव चमगादड़ के माध्यम से जिस प्रकार प्रस्तुत किया गया है, वह कथा को एक अलग आयाम दे जाता है।
‘एंटी रिंकल’ और ‘आई लव यू दादी’, बाल मन की कोमलता तथा द्वंद्व को बहुत एहतियात से बरतती कथाएँ हैं। यह कथाएँ यह भी समझा जाती हैं कि बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए घर में बुजुर्गों की कितनी अहम भूमिका होती है। स्वस्थ सामाजिक ढाँचे के लिए सभी पीढ़ियों का आपस में जुड़ाव अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
‘हौसले की पतवार’, यह कथा जीवन दर्शन और अध्यात्म का पुट लिये हुए है। नायिका आत्महत्या के उद्देश्य से नदी की ओर भागी जा रही है और किनारे पहुँचकर अचानक ही उसकी मुलाकात हो जाती है निर्जन में डोलती इकलौती नाव में बैठे एकाकी नाविक से। यह नाविक जीवन नैया का खेवनहार है, जो समझा जाता है, न जीवन आपके हाथ हैं, न मृत्यु। मनुष्य के हाथ है मात्र जीवन कर्म। अपनी परिस्थितियों से फिर जूझने का साहस ले लौटती नायिका, जीवन के किसी कमजोर क्षण में हम सबका मार्गदर्शन करने में सक्षम है।
‘प्रेम के दो मोती’ में दो सहेलियों की बातचीत के माध्यम से जीवन के एक अनमोल सच से हमारा साक्षात्कार होता है - सच्चा और निस्वार्थ प्रेम हमारे जीवन की सबसे मूल्यवान पूँजी है। धन-दौलत, भौतिक सुख सुविधाएँ, शारीरिक सौंदर्य सब तुच्छ हैं प्रेम की निर्मल मिठास के सम्मुख।
इतना ही नहीं हमारे पर्यावरण पर मंडराते खतरे, प्रदूषण के दुष्परिणाम, सम्भावित भयावह स्थितियों की ओर हमारा ध्यानाकर्षण करती कथाएँ जैसे - 'भय की कगार पर', 'कल की आहट' आदि भी हिस्सा हैं इस संकलन की।
कथ्य की विविधता, संदर्भों के बहुआयामों वाली कथाओं से सुसज्जित प्रेरणा गुप्ता का लघुकथा संग्रह 'सूरज डूबने से पहले' एक संग्रहणीय पुस्तक बन पड़ी हैं।
Namitasachan9@gmail.com
1 comment:
हार्दिक आभार।
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