दीपावली के दोहे
1
ऐसे दीप जलाइए, रोशन सब
जग होय
अँधियारा मन का मिटे, फूट-फूट
तम रोय ।
2
आस्थाओं के तेल में, नेह-वर्तिका
डाल
उजियारा तम के लिए, बन जाएगा
ढाल ।
3
घनी अमावस रात ने, लिया
अँधेरा ओढ़
पायल पहने रोशनी, लगा रही
है होड़ ।
4
नन्ही -सी लौ दीप की, झूम-झूम
हरसाय ।
घूँघट में ज्यों नववधू,मन ही मन
मुस्काय ।
5
कोने में बैठा हुआ, युगों से
अन्धकार
मना-मना कर चाँदनी, हरदम जाती
हार ।
6
खूब मने दीपावली,दीप जलें
चहुँ ओर
सूखी बाती -सा जले, जिसके मन
में चोर ।
- डॉ.भावना
कुँअर (सिडनी)
1
दिया अकेला कब जले,जलता केवल
तेल
वह भी जलता है तभी, जब बाती
से मेल
2
अँधियारे को चीरना, तब ही हो
आसान
दीपक कैसा भी सही,पर हो लौ
में जान ।
3
दीवाली की रोशनी, करें
पटाखे शोर
चाहे जितनी रात हो, लगती जैसे
भोर ।
4
घनी अमावस रात में, दीवाली जब
आय
सूनापन आकाश में, देख दिया
मुस्काय ।
5
दीवाली की ये घड़ी, कभी न
जाये बीत
आँखों में जलते रहें, सदा
हजारों दीप ।
- प्रगीत कुँअर (सिडनी)
- प्रगीत कुँअर (सिडनी)
1 comment:
udanti men sthaan dene ke liye bahut-bahut aabhaar...
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