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Mar 7, 2024

लघुकथाः अथ विकास कथा

 - सुकेश साहनी

बड़े साहब के चेम्बर में बड़े बाबू विकास सम्बंधी कार्यों के बिल पारित करवा रहे थे। ब्रीफिंग के लिए छोटे साहब भी वहाँ मौजूद थे।

"यह बिल किस काम का है?" बीस लाख के एक बिल पर हस्ताक्षर करने से पहले बड़े साहब ने जानना चाहा।

"सर, यह बिल उस पीरियड से सम्बंधित कार्यों का है, जब माननीय मंत्री जी क्षेत्रीय निरीक्षण पर आए थे।"

"ग्राम मेवली में कुछ ज़्यादा ही ख़र्च नहीं हो गया?" अगले बिल को देखते हुए बड़े साहब ने पूछा।

"नहीं सर! दीवाली पर प्रमुख सचिव महोदय से आपकी जो वार्ता हुई थी, उसी के अनुसार बिल तैयार कराए गए हैं।"

" ये छोटे-छोटे कई बिल......?

"ये सभी बिल चीफ साहब से सम्बंधित है, जब नैनीताल से लौटते हुए उन्होंने तीन दिन हमारे क्षेत्र में आकस्मिक निरीक्षण हेतु हाल्ट किया था।"

"हमारी बेटी की शादी भी करीब आ गई है।" बड़े साहब ने अर्थपूर्ण ढंग से छोटे साहब की ओर देखा।

"पूरी तैयारी है, सर!" छोटे साहब ने उत्साह से बताया और बड़े बाबू ने तत्काल एक बिल बड़े साहब के सामने हस्ताक्षर हेतु रख दिया।

"इन बिलों को शामिल करते हुए क्षेत्र के विकास के लिए प्राप्त कुल धनराशि के विरूद्ध खर्चे की क्या स्थिति है?"

"शत प्रतिशत!" छोटे साहब ने चहकते हुए बताया।

"एक्सीलेंट जॉब!" बड़े साहब ने शाबाशी दी।

                                  ■


1 comment:

प्रियंका गुप्ता said...

हमारे तथाकथित विकास से सम्बंधित कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार को बहुत सटीक तरीके से व्यक्त किया है, इस सशक्त लघुकथा के लिए मेरी बहुत बधाई