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Jan 1, 2025

जीवन दर्शनः बनिये उत्साह का कारण

  - विजय जोशी 

- पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल (म. प्र.)

     पेरिस के ऑपेरा हाउस में वर्षों पूर्व घटित इस कहानी ने मुझे कई बार अंदर तक छुआ है, जब एक मशहूर गायक का कार्यक्रम आयोजित किया गया था और जिसके टिकट काफी समय पूर्व ही बिक चुके थे। लोगों में प्रस्तुति को  लेकर बहुत उत्सुकता थी तथा हॉल समय पूर्व ही खचाखच भर चुका था।
    उन्हीं पलों में कार्यक्रम आरंभ होने से ठीक पहले आयोजक ने मंच पर आकर यह घोषणा की कि हमारे आज के मशहूर गायक अचानक बीमार हो गए हैं; अतः स्टेज पर नहीं आ पाएँगे, लेकिन उनके स्थान पर एक अत्यंत प्रतिभाशाली नौजवान अब अपने संगीत की प्रस्तुति देंगे।
       यह सुनते ही भीड़ बैचेन हो गई; किन्तु इसके बावजूद नए कलाकार ने बगैर हतोत्साहित हुए पूरी तन्मयता के साथ शोर- शराबे के बीच अपना संगीत पेश किया। समाप्ति पर किसी ने भी ताली नहीं बजाई।
     तभी एक चमत्कार हुआ और वह यूँ कि भीड़ में से एक बच्चा अचानक खड़ा होकर बोला : अद्भुत, अद्भुत, अद्भुत। मैं मानता हूँ आपका संगीत बेहद सुंदर था और यह कहते हुए उसने अपने दोनों हाथों से ताली बजाकर नए कलाकार का अभिनंदन किया। तभी एक और चमत्कार हुआ और वह यह कि पूरा हॉल तालियों से गूँज उठा।
       बात का संदर्भ यह है कि हममें से हर एक को जीवन ऐसे अवसर देता है, जिसे सार्थक कर पाना हमारे वश में होता है और उन पलों में ऐसे ही लोगों की जरूरत रहती है< जो धारा के विरुद्ध खड़े होकर अच्छे तथा सच्चे लोगों का उत्साह बढ़ा सकें। सो अगली बार न तो सोचिए और न ही किसी भेड़ चाल के अनुगामी बनकर अवसर की अस्मिता को व्यर्थ कीजिए। अच्छाई का पूरा सम्मान करते हुए उसके साथ खड़ा हो जाइए एकला चालो की तर्ज पर।
भलाई कर भला होगा, बुराई कर बुरा होगा।
कोई देखे न देखे पर ख़ुदा तो देखता होगा ।

सम्पर्क: 8/ सेक्टर-2, शांति निकेतन (चेतक सेतु के पास), भोपाल-462023,
 मो. 09826042641, E-mail- v.joshi415@gmail.com

51 comments:

देवेन्द्र जोशी said...

सही कहा है आपनेl केवल एक पारखी ही बहुत है लोगों को प्रेरित करने के लिएl वह एक व्यक्ति ही किसी को प्रतिष्ठित करने के लिए काफी हैl उसमें लेकिन समाज से अलग ht🌹कर आवाज उठाने का साहस hona👍जरुरी हैl प्रेरक आलेखl

Anonymous said...

सांत्वना का एक शब्द भी दूसरे को जीवन दान दे सकता है । प्रशंसा उत्साह बढ़ाती है।बहुत सुंदर प्रेरणादायी आलेख । हार्दिक बधाई आपकोा सुदर्शन रत्नाकर

राजेश दीक्षित said...

भेड़चाल से बचे और अपना रास्ता स्वयम चुने यही बात जो समझ गये वे आगे बढ गये अन्यथा पिछलग्गू तो बहुतेरे मिलेगे। आपका दृष्टान्त प्रेरणा दायी है।सादर....

Ananda C said...

Great article

Anonymous said...

Dr.Surinder kaur
It's really thought provoking.Opportunity must be given to all

Samar Roy said...

बिलकुल, पुरानी सोच से हट कर नई सोच, यही है जीवन। बहूत ही सही विश्लेषण।

Mahesh Manker said...

आदरणीय सर,
अत्यंत प्रेरक लेख.

भलाई कर भला होगा, बुराई कर बुरा होगा।
कोई देखे न देखे पर ख़ुदा तो देखता होगा ।

पंडित अनिल ओझा said...

ईश्वर ऐसे मौके हर इंसान को देता है।लाखों में कुछ ही लोग इसका फायदा उठाते है।ऐसे लोगों को थोड़ा भी प्रोत्साहन मिले तो वे जिंदगी में आगे बढ़ जाते हैं।नदी की धारा में तो सिर्फ लाशे ही तैरती है।धारा के विरुद्ध तो हौसले वाले ही तैर सकते है।

Hemant Borkar said...

पिताश्री आपका लेख प्रेरक है और उत्साह भर देता है कि भलाई करने में ही फायदा है। पिताश्री सादर प्रणाम 🙏

Anonymous said...

जीवन में सच्ची प्रेरणां देने वाले विरला मिलते हैं परन्तु मैं सौभाग्यशाली हूं मुझे आपका साथ मिला

C. G. Dadhkar said...

Those who chosen the different path are always been the torch bearer&shown the light to society, well articulated script.

Sharad Jaiswal said...

आदरणीय सर,
अति प्रेरणा दायी लेख

"मरी हुई मछली ही धार के साथ बहती है लेकिन जीवित मछली धारा के विपरीत तैरती है अगर आप भी जीवित हैं तो ग़लत का विरोध करना और सही का सपोर्ट करना सीखें ।

Rajeev Agarwal said...

सर, बहुत ही प्रेरणादायक कहानी है। आपने बहुत बढ़िया और बहुत सही लिखा है कि हमें निश्छल भाव से प्रतिभाओं को पहचानना चाहिए और उनका समर्थन करना चाहिए। हमेशा भेड़ चाल से बचना चाहिए। आज हम चंद्रमा तक पहुंच गए हैं और आगे की ओर बढ़ रहे हैं । ऐसी ही प्रेरणा दायक सीख हमें और अधिक उत्साहित करती है।

रवीन्द्र निगम भेल भोपाल said...

बहुत खुब, साहस नये गायक का जिसके अति प्रसिद्ध कलाकार की जगह गाया फिर उस जुगनू का जिसनें अन्धेरे (चुप्पी) में सराहना की चिन्गारी छोड दी, धन्य हैं द्वय साधुवाद🌹🙏

Anonymous said...

बहुत बढ़िया लेख सर .. सभी को अपने पर व क़ाबिलियत पर विश्वास होना चाहिए और अच्छे पारखी को भीड़ की परवाह किए बिना उसकी हौसला अफजाई करनी चाहिए 🙏🙂👏

Yogendra Pathak said...

कलाकार और बच्चे दोनों ही ,बधाई के पात्र

Anonymous said...

Such narratives need reminders as done by you Sir. It keeps our life force vigilant. The child had the courage to stand up n acknowledge talent . Rightly said - As you sow so shall you reap. Divine force is omniscient.

Anonymous said...

उनका समर्थन करना चाहिए। हमेशा भेड़ चाल से बचना चाहिए। आज हम चंद्रमा तक पहुंच गए हैं और आगे की ओर बढ़ रहे हैं । ऐसी ही प्रेरणा दायक सीख हमें और अधिक उत्साहित करती है।

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रवीन्द्र निगम भेल भोपाल08 January
बहुत खुब, साहस नये गायक का जिसके अति प्रसिद्ध कलाकार की जगह गाया फिर उस जुगनू का जिसनें अन्धेरे (चुप्पी) में सराहना की चिन्गारी छोड दी, धन्य हैं द्वय साधुवाद🌹🙏

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Anonymous08 January
बहुत बढ़िया लेख सर .. सभी को अपने पर व क़ाबिलियत पर विश्वास होना चाहिए और अच्छे पारखी को भीड़ की परवाह किए बिना उसकी हौसला अफजाई करनी चाहिए 🙏🙂👏

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Yogendra Pathak08 January
कलाकार और बच्चे दोनों ही ,बधाई के पात्र

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Anonymous08 January
Such narratives need reminders as done by you Sir. It keeps our life force vigilant. The child had the courage to stand up n acknowledge talent . Rightly- Daisy C Bhalla

Anonymous said...

उनका समर्थन करना चाहिए। हमेशा भेड़ चाल से बचना चाहिए। आज हम चंद्रमा तक पहुंच गए हैं और आगे की ओर बढ़ रहे हैं । ऐसी ही प्रेरणा दायक सीख हमें और अधिक उत्साहित करती है।

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रवीन्द्र निगम भेल भोपाल08 January
बहुत खुब, साहस नये गायक का जिसके अति प्रसिद्ध कलाकार की जगह गाया फिर उस जुगनू का जिसनें अन्धेरे (चुप्पी) में सराहना की चिन्गारी छोड दी, धन्य हैं द्वय साधुवाद🌹🙏

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Anonymous08 January
बहुत बढ़िया लेख सर .. सभी को अपने पर व क़ाबिलियत पर विश्वास होना चाहिए और अच्छे पारखी को भीड़ की परवाह किए बिना उसकी हौसला अफजाई करनी चाहिए 🙏🙂👏

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Yogendra Pathak08 January
कलाकार और बच्चे दोनों ही ,बधाई के पात्र

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Anonymous08 January
Such narratives need reminders as done by you Sir. It keeps our life force vigilant. The child had the courage to stand up n acknowledge talent . Rightly said as you sow so shall you reap. Divinity is omniscient- Daisy C Bhalla

मंगल स्वरूप त्रिवेदी said...

बहुत ही प्रेरणादायी आलेख के लिए आभार।
जीवन में जब भी कुछ अच्छा करने का अवसर मिले तो उसे ईश्वर के द्वारा दी गई सेवा समझकर निश्चल एवं निस्वार्थ भाव से सहयोग करना चाहिए, यह भी एक प्रकार की ईश्वर भक्ति है।
जीवन में प्रत्येक कर्म लौटकर आता है। ऐसे में जीवन में जितनी भलाई की जा सके, सद्कर्म किए जा सके, पुण्य कर्म किए जा सके, पूरे मन से करते रहना चाहिए। इससे स्वयं का जीवन भी श्रेष्ठ बनता जाता है। आपका यह लेख इसका जीवंत उदाहरण है।
जब हम दूसरों का जीवन बेहतर बनाने का प्रयास करते हैं, उस समय हम ईश्वर का विशेष आशीर्वाद प्राप्त कर रहे होते हैं। हमेशा कोशिश होनी चाहिए कि हम लोगों की कमियों को अनदेखा करते हुए उनकी प्रतिभा का सम्मान करें, उन्हें अच्छे कार्यों के लिए प्रोत्साहित करें और यथासंभव सहयोग भी दें ताकि यह संसार और सुंदर बन सके।
भलाई कर भला होगा, बुराई कर बुरा होगा।
कोई और देखे या ना देखें, ईश्वर तो देखता होगा।।
एक बार पुनः इस महान संदेश के लिए आभार !

Kishore Purswani said...

परमात्मा ना सिर्फ़ अवसर देता है पर अनजाने दूत को भेजकर हमारा उत्साह भी बढ़ाता है - ज़रूरी है कि हम प्रयास करते रहे और उस परम पिता पर विश्वास बनाये रखें

Manish Gogia said...

प्रेरणास्पद लेख बहुत बहुत धन्यवाद

Daisy C Bhalla said...

V nice reply Sir. God certainly helps those who help themselves.

Daisy C Bhalla said...

Three states of mind
Subconscious , Conscious, and Pure Conscious
Subconscious is 87.5%. Balance 12.5% is conscious and pure conscious mind.
Whatever you think, speak or hear is all stored in the subconscious mind. When you are sitting idle, this subconscious mind feeds food to your brain.If you are in depression it will feed you all the news of grief and sorrow. Likewise when you are happy it will feed you all good news of happiness and festivity.
So always try to be cheerful and happy. Whatever you see from your eyes is also stored. Whatever you hear is also stored. It is said that a child hears everything in the mother's womb. Also all Gurus give mantra in ear only. Only the ear and nose work 24x7. Eyes and mouth are closed while sleeping. Nose throws out carbon dioxide and takes in oxygen. Only the Ear takes all.
In our school days the teacher would twist our ears when we forgot anything. By twisting he was charging your memory and you remember quickly.
Your subconscious mind is an unquestioning servant that works day and night to make your behavior fit a pattern consistent with your emotionalized thoughts, hopes, and desires. ..
Once a great stage artist was struck with stage fright. His throat choked just before the performance. Trembling, he said, “I can’t sing. They will laugh at me. My career is finished.” While going backstage, he suddenly stopped and shouted, “The Little Me is trying to strangle the Big Me within!”
He turned toward the stage again and stood taller.” He began to shout, “Get out, get out, the Big Me is going to sing!” He sang majestically. The subconscious mind is reactive. It responds to the nature of your thoughts. When your conscious mind is full of fear, worry, and anxiety, the negative emotions these create in your subconscious mind are released. When this happens, you can speak affirmatively and with deep sense of authority to the irrational emotions generated in your deeper mind.
Imagine your subconscious mind as a bed of rich soil that will help all kinds of seeds to sprout and flourish, whether good or bad. Begin now to sow thoughts of peace, happiness, right action, goodwill and prosperity. Think quietly and with conviction on these qualities. Accept them fully in your conscious reasoning mind. Continue planting these wonderful seeds and you will reap a glorious harvest.

“Whatever we plant in our subconscious mind and nourish with repetition and emotion will one day become a reality.” — Earl Nightingale

Anonymous said...

निश्चित ही प्रोत्साहन प्रतिभा को निखारता है परन्तु प्रोत्साहित बड़ा दिल वाला व्यक्ति ही कर सकता है। समाज में इस छोटे बच्चे की तरह अनेक सहृदय व्यक्ति हैं, जो प्रतिभा को सामने लाने का प्रयास कर रहें हैं। इसलिए पिछलग्गू बनने की बजाय जीवन में ऐसे ही छोटे बच्चे का इंतजार करना चाहिए। प्रेरणादायक आलेख की बधाई
शीला मिश्रा

विजय जोशी said...

Dear Daisy
You have very well analysed the issue. Subconscious mind controls our actions silently. As we think we become
-- So being positive, think positive and act positive is the success mantra of life. यावद जीवेत सुखं जीवेत
-- Life is so short that we can hardly think of wasting the time permitted to live on earth.
-- There is only one life. We don't know previous or future, so let's make it purposeful and enjoy. Both simultaneously.
Thanks very much for your passionate perusal. Regards.

विजय जोशी said...

प्रिय बंधु मंगल स्वरूप
बहुत सुंदर, सार्थक और सामयिक संवाद निहित है आपकी बात में
कुल मिलाकर बात हमारे कर्म पथ पर यात्रा की है।
- कर्म प्रधान विश्व रचि राखा
- जो जस करहि सो तस फल चाखा
परन्तु एक सावधानी भी निहित है। भौतिकता के वर्तमान परिदृश्य में मूल्य नेपथ्य की ओर अदृश्य से होते जा रहे हैं। विवेक पर व्यसन हावी। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है पर मोह माया में आप्लावित आदमी ग़ाफिल रहता है सच्चाई से। और जब तक बात समझ में आती है समय समाप्त हो जाता है।
स्नेहपुरित प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार सहित सादर

विजय जोशी said...

आदरणीया
आपकी प्रतिक्रिया बहुत मान रखती है मेरे लिए। सो हार्दिक आभार सहित सादर

विजय जोशी said...

आदरणीय
आपने तो सदा से सकारात्मक प्रतिक्रिया द्वारा उत्साह बढ़ाया है मेरा। सो हार्दिक आभार सहित सादर

विजय जोशी said...

प्रिय मित्र राजेश भाई
सुंदर प्रतिक्रिया हेतु हार्दिक आभार सहित सादर

विजय जोशी said...

Res. Ananda Ji
Thanks very very much. Kind regards

विजय जोशी said...

Dear Dr. Surinder
Thanks very very much. Kind regards

विजय जोशी said...

आदरणीय
सही कहा आपने। हार्दिक आभार सहित सादर

विजय जोशी said...

प्रिय महेश
हार्दिक आभार सहित सस्नेह

विजय जोशी said...

प्रिय अनिल भाई
सही कहा। सही दिशा में हौसला सफलता की पहली शर्त है। हार्दिक आभार सहित सादर

विजय जोशी said...

प्रिय शिक्षाविद मित्र हेमंत,
हार्दिक आभार सहित सस्नेह

विजय जोशी said...

हार्दिक आभार मित्र

विजय जोशी said...

Dear Charudatta Bhai
MAD i.e. make a difference means a lot. Thanks very much. Kind regards

विजय जोशी said...


प्रिय शरद,
धारा के विपरीत तैरने का अपना मज़ा है बशर्ते उद्देश्यपूर्ण हो। हार्दिक आभार सहित सस्नेह

विजय जोशी said...

प्रिय राजीव भाई
आप तो मेरे सहयात्री हैं इस सफ़र में। यह विनम्र मिशन जारी रखने के लिए हार्दिक आभार सहित सादर

विजय जोशी said...

प्रिय रवींद्र भाई
आप तो मालवा की माटी के गौरव हैं। सो हार्दिक आभार

विजय जोशी said...

हार्दिक आभार मित्र

विजय जोशी said...

आदरणीय
आभार दिल की गहराई से। सादर

विजय जोशी said...

Dear Daisy
Please peruse my comments below on this link only. Regards

विजय जोशी said...

आदरणीया शीला जी
सच कहा आपने। दिल के दरबार में हर नेक का स्वागत हमारे अंतस में अपार सुख का साधन और समाधान बन सकता है। हार्दिक आभार सहित सादर

विजय जोशी said...

प्रिय मित्र किशोर भाई
हार्दिक आभार। सादर

विजय जोशी said...

प्रिय मनीष
हार्दिक आभार सस्नेह

Anonymous said...

आदरणीय सर, सादर प्रणाम। यह आपका बड़प्पन है और यह मेरा अहो भाग्य है कि आपके संपर्क में आया। आपके लिए यह आपका अदना सा सेवक हमेशा आपके साथ रहेगा। पुनः सादर प्रणाम।

रवीन्द्र निगम भेल भोपाल said...

सादर अभिवादन

Mandwee Singh said...

सादर प्रणाम आदरणीय
सदा सर्वदा की तरह आपका सारगर्भित, प्रेरणास्पद और प्रभावी आलेख तथा हमेशा की तरह देर से भेजी गई मेरी प्रतिक्रिया।
आपके आलेख को पढ़कर उन व्यक्तियों को अवश्य सद्बुद्धि मिलनी चाहिए जो दूसरों के अच्छे कार्यों में भी गलतियां ढूंढते रहते हैं और हतोत्साहित करते रहते हैं।
प्रोत्साहन और प्रेरणा में वह शक्ति है जो किसी भी व्यक्ति की प्रतिभा को पहचान दिलाती है।
बहुत सुंदर रचना। पुनः साधुवाद।

विजय जोशी said...

आदरणीया
सदा सर्वदा की तरह वही प्रेरक सद्भावना पूरित उत्साह बढ़ाती आपकी प्रतिक्रिया मन को छू गई। देर नहीं यह तो सब प्रतिक्रियाओं का निष्कर्ष समाहित ज्ञान है जो सदा झलकता है आपके सद्भावना पूर्ण संदेश में।
हार्दिक आभार सहित सादर