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Jan 1, 2025

कविताः रिश्ते बोनसाई नहीं बनते

   - मंजु मिश्रा


जीवन में प्यार

रूठना मनाना सब

सही समय पर

सही अनुपात में ...

बिलकुल सब्ज़ी में

मसालों-सा रखो

तो जीवन में

खुशियों का स्वाद

बरकरार रहता है

जरा-सा कुछ

ऊपर नीचे हुआ नहीं

कि बस

मामला गड़बड़ा ही जाता है ...

जिंदगी का मज़ा खतम हो जाता है


कब

कितना

बाँधना है

कब

कितना

स्वतंत्र करना है

इसका भी

सही समय और

सही अंदाजा

सही-सही माप-तौल

बहुत ज़रूरी है

वरना बोनसाई बनाने के चक्कर में

रिश्ते मर ही जाते हैं

1 comment:

Anonymous said...

बहुत सुंदर बात, सुंदर कविता में कह दी। हार्दिक बधाई। सुदर्शन रत्नाकर