वर्ष- 18, अंक- 4
बुद्ध से पूछा आपको क्या मिला ध्यान साधना से? बुद्ध ने कहा - मिला कुछ भी नहीं, खोया बहुत है- क्रोध, मोह, द्वेष, घृणा, बुढ़ापे और मौत का डर...
अनकहीः बच्चों को खुला आसमान देना होगा - डॉ. रत्ना वर्मा
प्रदूषणः दिवाली बाद गहराया देशव्यापी प्रदूषण - प्रमोद भार्गव
नवगीतः 1. लहर यहाँ भी आएगी 2. समय करता है जाप - सतीश उपाध्याय
धरोहरः चंदखुरी- माता कौशल्या और राम की भूमि होने का प्रमाण - राहुल कुमार सिंह
यादेंः यादगार एक्सप्रेस - विजय विक्रान्त
चिंतन- मननः जीवन की सुंदरता - अंजू खरबंदा
कविताः झील के ऊपर अगहन माह के मेघ - गिरेन्द्रसिंह भदौरिया 'प्राण'
परम्पराः बेटी विदा करने की प्रथा- खोईंछा - मांडवी सिंह
कविताः छोटी लड़की - आरती स्मित
कहानीः साफ -सुथरी आँखों वाले - सुकेश साहनी
कविताः सच सच बताना युयुत्सु - निर्देश निधि
कुण्डलिया छंदः कहाँ अब आँगन तुलसी - परमजीत कौर 'रीत'
किताबेंः गद्य की विभिन्न विधाएँ: एक अनिवार्य पुस्तक - प्रो. स्मृति शुक्ला
व्यंग्यः अफ़सरनामा - डॉ मुकेश असीमित
लघुकथाः सहानुभूति - सतीशराज पुष्करणा
प्रेरकः क्रोध का उपचार कैसे करें? - निशांत
लघुकथाः गुब्बारा - श्यामसुन्दर 'दीप्ति'
पिछले दिनोंः दाऊ रामचंद्र देशमुख जयंती- लोक कलाकारों का भावनात्मक संगम

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