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Nov 2, 2025

कविताः छोटी लड़की

 - आरती स्मित 

लहरों से खेलती

वह छोटी लड़की

लिख रही अपना नाम

आसमान पर...


लहरों का श्वेत झाग 

और 

सागर का नीलाभ

बन गए हैं रंग  

हरियाते मुस्काते पेड़ ब्रश


वह 

भरकर मुट्ठी 

उछाल देती है सुनहरी रेत

और छितराकर रंग

बना देती है

स्याह दुनिया को ख़ूबसूरत


रेत उसकी आँखों को 

चुभती नहीं

सोनारंग बस जाता है

छलछलाती दोनों नदियों के

उन काले टापुओं में

जहाँ से दिखता है 

सब खिला-खिला 

नीला, रुपहला, सुनहला...


वह छोटी लड़की

अब भी मगन है

अपनी रंगीन दुनिया में

...

रेस लगा रही है लहरों से

और

हिला-हिलाकर उँगलियाँ

विशाल नीले कागज़ पर

कर रही है हस्ताक्षर

सुनहरे अक्षरों में


वह छोटी लड़की

नहीं जानती

कि

उम्र का बढ़ता कद

घोल देता है  

मुट्ठी भर स्याह रंग

जीवन में ….

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