भिलाई प्रगति नगर रिसाली में स्थित सुनीता आर्ट गैलरी एवं म्यूज़ियम में पिछले दिनों छत्तीसगढ़ की लोक सांस्कृतिक चेतना के प्रेरणास्रोत कला ऋषि दाऊ रामचंद्र देशमुख जी के जन्मदिवस 25 अक्टूबर के अवसर पर एक गरिमामय सांस्कृतिक एवं कलात्मक समागम का आयोजन हुआ।
इस आयोजन में चंदैनी, गोंदा और कारी से जुड़े कई वरिष्ठ कलाकार शामिल हुए जिन्होंने रामचंद्र देशमुख जी के साथ कार्य किया था। इस अवसर पर सभी कलाकारों ने अपने अनुभव साझा करते हुए दाऊ जी की स्मृतियों और उनके छत्तीसगढ़ के प्रति लोककला के योगदान को भाव विभोर होकर याद किया। ज्ञात हो कि 70 के दशक में गाँव - गाँव में प्रदर्शित रामचंद्र देशमुख के लोक नाट्य चंदैनी गोंदा और कारी ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति में नए प्रतिमान स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
कार्यक्रम का शुभारंभ दाऊ जी के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन करके किया गया। तदुपरांत आर्ट गैलरी की संस्थापक डॉ. सुनीता वर्मा ने सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत और अभिनंदन करते हुए कहा - आज के इस आत्मीय और भावनात्मक आयोजन से मेरी आर्ट गैलरी को आप सभी वरिष्ठजन का आशीर्वाद मिल गया है। मैं अभीभूत हूँ और हृदय से आप सभी का स्वागत करती हूँ।
इसके पश्चात् प्रो. सुशील देशमुख जी, जो दाऊ जी के साथ उनकी कला यात्रा में आरंभ से साथ रहे, ने आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा - दाऊ जी ने छत्तीसगढ़ की लोककला को जन-जन तक पहुँचाने के साथ समाज में व्याप्त भेद-भाव की रूढ़ परंपराओं में बदलाव लाने का दायित्व बखूबी निभाया है। उस दौर के साथी कलाकार चूँकि एक के बाद एक साथ छोड़ते चले जा रहे हैं, अतः उन कलाकारों की स्मृतियों और अनुभवों को संरक्षित करना अब जरूरी हो गया है, जिन्होंने छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक पहचान को सँजोया और गढ़ा है।
कार्यक्रम में उपस्थित सम्मानित कलाकारों में प्रमुख रहे - प्रो. शैलजा ठाकुर, अनुराग ठाकुर चौहान, साधना यादव, संतोष झाँझी, डॉ. मीनाक्षी दुबे, कविता वासनिक, विवेक वासनिक, प्रो. सुरेश देशमुख, मदन शर्मा, विजय मिश्रा, प्रमोद यादव, विनायक अग्रवाल, कृष्ण कुमार चौबे, अग्नू, अरुण निगम और विजय वर्तमान। अन्य आमंत्रित अतिथि थे- डॉ. रत्ना वर्मा, डॉ. तरुण नायक, राजेन्द्र वर्मा, आयुश चंद्रवंशी और धनंजय ।
सुनीता आर्ट गैलरी में आयोजित इस कार्यक्रम में भोजनोपरांत सभी वरिष्ठ कलाकारों का शॉल और श्रीफल भेंट कर सम्मान किया गया। लोक कलाकारों की उपस्थिति में सुनीता आर्ट गैलरी का यह परिसर सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक भूली- बिसरी यादों से गुंजायमान रहा।

सराहनीय कदम
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