“आइये याद रखें: एक किताब, एक कलम, एक बच्चा और एक शिक्षक दुनिया बदल सकते हैं।” - मलाला यूसुफजई
अनकहीः आकांक्षाओं के बोझ तले दबा बचपन - डॉ. रत्ना वर्मा
पर्व- संस्कृतिः देवों के देव गणपति - रविन्द्र गिन्नौरे
प्रकृतिः उत्तराखंड में जल-प्रलय - प्रमोद भार्गव
खान-पानः एक सेहतमंद सब्जी टमाटर - डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन
यात्रा वृत्तांतः ओह पहलगाम ! - विनोद साव
प्रसंगः गुरु साध्य नहीं उत्प्रेरक तत्त्व मात्र है - सीताराम गुप्ता
लोक कलाः हमारी सांस्कृतिक धरोहर है ऐपण- ज्योतिर्मयी पन्त
स्वास्थ्यः अचानक चौथे स्टेज का कैंसर कैसे हो जाता है? - निशांत
कविताः दस छोटी कविताएँ - छवि निगम
हाइकुः स्वर्णिम यादें - कृष्णा वर्मा
चार लघुकथाएँः 1. शिक्षाकाल, 2. पिंजरे, 3. बोंजाई, 4. प्रक्षेपण - सुकेश साहनी
व्यंग्यः हर व्यक्ति अब महाज्ञानी !.. - गिरीश पंकज
कहानीः कैक्टस के फूल - डॉ. दीक्षा चौबे
किताबेंः अधूरी मूर्तियों का क्रंदन : एक संवेदनात्मक पड़ताल - डॉ. पूनम चौधरी
लाजवाब सम्पादकीय, विविधता लिए बेहतरीन रचनाओं एवं आकर्षक आवरण से सुसज्जित उदंती केअगस्त अंक के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।साहित्य के लिए आपकी प्रतिबद्धता , लगन सदैव झलकती है।सुदर्शन रत्नाकर
ReplyDeleteबढ़िया सामग्री शानदार संयोजन
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