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Sep 1, 2025

दस छोटी कविताएँ

     - छवि निगम 

1

नहीं चाहिए

नाल

न लगाम

न ही तुम।


2

जीवन क्या

खोजते रहना 

सही कॉन्टैक्ट नम्बर ऊपर वाले का

बस ।

3

रिश्ते आभासी मौजूदगी बॉयोमैट्रिक

आजकल तो

सिम गया

याददाश्त गई।

4

सागर और धरती घुटते हैं

ऊपर से शांत दिखें चाहे

भूकम्प को तरसते हैं

सुनामी को तकते हैं ।

5

फेस मास्क बरकरार हैं

दूरियाँ दरम्यान हैं

अपने इस दौर की

अजनबियत ही पहचान है ।

 6

कैनवास नहीं 

हर कोई यहाँ पर

ब्लैकहोल भी हैं

अपने रंग बचाना तुम ।

7

जुड़े

तो कहानी,

टूटे

तो कविता ।

8

रात का मुलम्मा

उतार फेंकता है

दिन

बड़ा संगदिल हुआ करता है

9

अगर डरो,

तो मौन से डरो

कि भीतर के शोर का

यही चरम है

10

विश्वासघात 

और ज़िन्दगी,

आपस में

व्युतक्रमानुपाती

2 comments:

  1. Anonymous02 September

    बहुत सुंदर कविताएँ। बधाई॥ सुदर्शन रत्नाकर

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  2. नवीन प्रतीकों के माध्यम से सामयिक संदर्भ की प्रभावी रचनाएँ। हार्दिक बधाई

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