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Jan 28, 2017
उदंती- जनवरी-2017
आवरण चित्रः
डॉ. सुनीता वर्मा
उदंती-
जनवरी-
2017
सबसे जीवित रचना वह है
,
जिसे प
ढ़ने
से प्रतीत हो
कि लेखक ने
अंतर से
सब कुछ
फूल सा
प्र
स्फु
टित किया है।
-शरतचंद्र
- अनकहीः
इस बार लीक से हटकर – डॉ. रत्ना वर्मा
- पुण्यतिथिः
मानवीय संवेदनाओं के चितेरे कमलेश्वर
-डॉ.शिवजी श्रीवास्तव
- तीन ग़ज़लेंः
हरी छाँव., मीत मन.. मेले में.. -सुधेश
- संस्मरणः
विनोद शंकर शुक्ल का जाना -विनोद साव
- समस्याः
नशा पाप का मूल है... -डॉ.पूर्णिमा राय
- निबंधः
बच्चे की मुस्कान, राष्ट्रकी शान -अंकुश्री
- कविताः
जल रहा अलाव -शशि पाधा
- रफ्तारः
एक सेकंड देर से... - नवनीत कुमार गुप्ता
- कविताः
मन का संदूक -रश्मि प्रभा
- सवालः
हैप्पी न्यू ईयर या नववर्ष -लोकेन्द्र सिंह
- आशीर्वादः
एक पत्र पोते के नाम -गोवर्धन यादव
-
ग़ज़लः
साल नया है -प्राण शर्मा
- कविताः
प्रतीक्षा में -नीतिन देसाई
- हास्य व्यंग्यः
शहर में वसंत की...-विनोद शंकर शुक्ल
- लघु कथाएँः
तमाशबीन, प्रलाप, समर्पण -रीता गुप्ता
- सेदेका/माहियाः
-डॉ. सरस्वती माथुर
-
कहानीः
घुटन भरा कोहरा -देवी नागरानी
- प्रेरकः
आलू, अंडे और कॉफी (हिन्दी कोन से)
- जीवन शैलीः
करत करत अभ्यास के... -विजय जोशी
- कविताः
नए साल... -मंजीत कौर ‘मीत’
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