मन में सजाके प्रीत
- - डॉ. शरद सुनेरी
मन में सजाके प्रीत,
प्यार का जलाके दीप,
आरती मैं आपकी उतारने को आया हूँ।
भावों के चमन में, खिले हैं फूल प्यार के जो,
सुरभि समेट सारी, गीतों में ले आया हूँ।
शीतल बयार में, छंदों की बौछार से,
सोए हुए भावों को जगाने चला आया हूँ।
गीत तो सुनाना बस एक है बहाना यहाँ,
प्यार की बदरिया को बरसाने आया हूँ।
सम्पर्कः102/ निर्माण शेल्टर्स,पेट्रोल पंप के पास,यादव नगर,नागपुर- 26
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