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Feb 21, 2013

उदंती.com-फरवरी 2013

मासिक पत्रिका - फरवरी 2013

हिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय।।
                                      - रहीम



3 comments:

रश्मि प्रभा... said...

हर बार की तरह नयी छवि ...... बसंत पुरजोर है प्यार के रंग में

सदा said...

बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ...

Unknown said...

नमस्कार , इस साहित्य पत्रिका को ऑनलाइन अंश देखकर बहुत अच्छा लगा हैं , मैं पहले इस पत्रिका का नियमित पाठक था , बाद में रेलवे बुकस्टाल में नहीं मिलने के कारण साथ छुट गया था , अब नियमित रूप से सदस्य बन कर डाक से प्राप्त करूँगा |