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Jan 27, 2018
उदन्ती.com जनवरी 2018
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जनवरी 2018
सत्य से कीर्ति प्राप्त की जाती है और सहयोग से मित्र बनाए जाते हैं।
-कौटिल्य
अनकही:
घटते जीवन मूल्य
-
डॉ. रत्ना वर्मा
उत्सव:
प्रकृति का उल्लास पर्व वसन्त
-कृष्ण कुमार यादव
चौपाई:
सरस्वती वंदना
-ज्योत्स्ना प्रदीप
चिंतन:
रंगीन होती 31 दिसम्बर की रात
-डॉ.महेश परिमल
पर्यावरण:
अब मनुष्य के विलुप्त होने की सम्भावना
-डॉ.ओ.पी.जोशी
नववर्ष:
नएपन का संकल्प
-डॉ. श्याम सुन्दर दीप्ति
मनोविज्ञान:
लिफाफा देखकर मजमून भाँपना
-डॉ.डी.बालसुब्रमण्यन
ग़ज़ल:
इस जहान में
-देवमणि पांडेय
प्रकृति:
एक पेड़ की दुनिया
-दीपाली शुक्ला
अच्छे दिन:
ताकि बहुर सकें हिन्दी के दिन
-जगदीप सिंह दाँगी
दोहे
:हो सबका अभिमान
-डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
जीवन मूल्य:
कभी हार न मानें
-चन्द्र प्रभा सूद
परिवार:
भूत और भविष्य के सेतु हमारे बुजुर्ग
-शशि पाधा
अर्पण:
एक हाथ से दिया दान हज़ारों हाथों से लौट आता है...
-डॉ. नीलम महेन्द्र
स्मरण:
ममता,दया और करुणा की प्रतिमूर्ति मिनीमाता
-प्रो. अश्विनी केशरवानी
गीत:
आ गया नव वर्ष
-ज्योतिर्मयी पंत
कविता:
मुकद्दमा
-डॉ.कविता भट्ट
व्यंग्य:
किसी के पास भी टाइम नहीं हैं
-देवेंद्रराज सुथार
लघुकथा:
मूक साथी
-सत्या शर्मा
‘
कीर्ति
’
पुस्तक:
साहित्य जगत को अनुपम भेंट
-डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
लघुकथा:
गुलामी
-
खलिल जिब्रान
,
अनुवाद
-सुकेश साहनी
प्रेरक:
..खुद को कैसे बदल सकते हैं
?
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