गिरीश पंकज को मिला 'व्यंग्यश्री’
उन्होंने महान व्यंग्यकार गोपाल प्रसाद व्यास जी के व्यंग्य विनोद सम्बन्धी अवदान याद करने के बाद व्यंग्य के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा व्यंग्यकार को पहले बेहतर मनुष्य होने की कोशिश करनी चाहिए। श्री पंकज ने आपनी कुछ व्यंग्य रचनाएँ भी सुनाई जिसे लोगों ने बहुत पसंद किया। समस्त उपस्थित वक्ताओं ने गिरीश पंकज के योगदान को रेखांकित किया और अपनी एक-एक प्रतिनिधि रचना का पाठ भी किया। कार्यक्रम का सफल संचालन व्यंग्यकार आलोक पुराणिक ने किया। समारोह में दिल्ली एनसीआर के अनेक लेखक और साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।
गिरीश
पंकज विगत चालीस वर्षो से व्यंग्य लिख रहे है।
उनके सोलह व्यंग्य संग्रह, सात व्यंग्य समेत बासठ पुस्तकें
प्रकाशित हो चुकी है। पंद्रह छात्रों ने इनके व्यंग्य साहित्य पर शोध कार्य भी
किया है। आपके व्यंग्य देश की
महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशित होते रहे
है। यह सिलसिला आज भी जारी है।
व्यंग्य
साहित्य में योगदान के लिए गिरीश
पंकज को अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके है, जिनमें मिठलबरा की आत्मकथा (उपन्यास) के
लिए रत्न भारती सम्मान,
भोपाल, लॉफ्टर क्लब इंटरनेशन, मुंबई द्वारा स्वर्ण पदक सम्मान, अट्टहास
न्यूज लेटर,
रायपुर के सम्पादन के लिए, माफिया
(उपन्यास) के
लिए लीलारानी स्मृति सम्मान (पंजाब), अट्टहास युवा सम्मान, लखनऊ,
श्रीलाल शुक्ल (परिकल्पना) व्यंग्य
सम्मान,
लखनऊ, विदूषक सम्मान, जमशेदपुर, समग्र व्यंग्य लेखन के लिए रामदास तिवारी सृजन
सम्मान- राँची, व्यंग्य उपन्यास लेखन के लिए गहमर में प्रदत्त
सम्मान प्रमुख हैं।
गिरीश
पंकज साहित्य और पत्रकारिता में निरंतर सक्रिय
है। अनेक देशों का प्रवास कर चुके गिरीश पंकज कुछ महत्त्वपूर्ण
दैनिको में चीफ रिपोर्टर और सम्पादक रहने के बाद इन दिनों 'सद्भावना दर्पण’ नामक
त्रैमासिक अनुवाद पत्रिका का सम्पादन-प्रकाशन कर रहे है। रायपुर के दैनिक में प्रतिदिन व्यंग्य लिख रहे हैं।
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