मासिक पत्रिका वर्ष2, अंक 7, मार्च 2012उदंती के सुधी पाठकों को होली पर्व की रंग- बिरंगी शुभकामनाएं।
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अनकही: कोख में श्मशान - डॉ. रत्ना वर्मा
मिसाल: बकरी की हांक से पद्मश्री की धाक तक - अतुल श्रीवास्तव
उत्सव: भारतीय संस्कृति में होली के रंग अनेक - कृष्ण कुमार यादव
हाइकु: फागुनी हवा - ज्योतिर्मयी पन्त
व्यंग्य: होली, चुनाव और हाईटेकीय धमाल - अविनाश वाचस्पति
नफरत से इंकार - इस्मत जैदी
हास्य व्यंग्य: जिला बदर के नये मौके -विनोद साव
लघु व्यंग्य - अखतर अली
विदेशों में होली: अपना भारत वे वहां भी बना ... - डॉ अनीता कपूर
पर्व संस्कृति: खेलत अवधपुरी में फाग, रघुवर ... - प्रो. अश्विनी केशरवानी
हास्य: होरी है... - यशवंत कोठारी
यादें: बाथ टब की होली -रचना श्रीवास्तव
जी भर खेलो होली - सुधा भार्गव
ब्लॉग बुलेटिन से: ...चला बिहारी ब्लॉगर बनने - रश्मि प्रभा
महिला स्वास्थ्य: भारत में भाड़े की कोख का व्यापार - प्रीति और वृंदा
हास परिहास: हँसो मत, गंभीर रहो.. - गिरीश पंकज
बहुत याद आये - रंजना सिंह
मेरी कर्मपत्री... खुली पुस्तक के समान है - महादेवी वर्मा
हाइकु: तुम्हारे बिना - डॉ जेन्नी शबनम
आपके पत्र/ मेल बॉक्स
महिला दिवस: संघर्षों में तप कर मजबूत होती... - डॉ. मिथिलेश दीक्षित
3 comments:
रत्ना जी,
मेरे हाइकु को अपनी पत्रिका में स्थान देने के लिए ह्रदय से आभार. उदंती की सफलता के लिए बहुत शुभकामनाएँ.
patrika bahut pasand aayi , sabhi rachnakaro ko badhai , hayuk sabhi acche lage ......... yaaden bath tab ki holi ...sabhi acche hai . yada na likhte huye ...shubhkamnaye
behtrin patrika. pura padh kar fir likhunga aapko.
chandrapal, mumbai
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