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Mar 23, 2012

जी भर खेलो होली


- सुधा भार्गव
दहकती देह की तपिश है होली
मीठे दर्द की दवा है होली
उन्मादी मौसम की मांग है होली
प्रिय-प्रियसी का मिलन है होली।
चन्दन सी खुशबू है होली
केसर की क्यारी है होली
शाहजहाँ ने ताज बनाकर
खेली थी प्यार की होली।
पिचकारी की प्रेमधार है होली
रंगों की बरसात है होली
गुब्बारों की चाबुक मार पड़ी तो
बच्ची चिल्लाए आज है होली।
दिल से दिल की जुडऩ है होली
मन से मन का मिलन है होली
सौरभ -सुरभित विश्वास है होली
विश्व एकता का वाहक है होली।
आओ साथ चलें उस निर्जन उपवन में
हर कोई काँटों पर जहां खड़ा अकेला
मैत्री- मिलन की एक पौध लगाकर
जी भरकर आज खेलनी है होली।

संपर्क: 3, क्रैकस्टोन क्लोज, कोवेंट्री - सी वी 25 ई बी, यू. के, Email- subharga@gmail.com

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