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Mar 23, 2012

फागुनी हवा


- ज्योतिर्मयी पन्त
1
साँझ सिन्दूरी
रंग फैला,रवि भी
खेले होरी री।

2
पुहुप रंग
ओस की पिचकारी
धरा सजाए।

3
ये मधुमास
करे टोना प्रकृति
बेसुध सभी।

4
आए फागुन
अलि पिक गायन
तितली नाचे।

5
बिरवा झूमें
टेसू सरसों झूलें
फागुन छूले।

6
होली आई री
सजी टोलियाँ आली
आ खेलें होली।

7
स्नेह सिक्त हो
भाँग शराब बिन
ख़ुशी मनाएँ।

8
गीत संगीत
ढोल मँजीरे डफ
आनंद होली।

9
फागुनी हवा
थिरके धड़कन
बहके जिया।

10
बैर भुला दे
रंग पाटे खाइयाँ
लग जा गले।

संपर्क- ए-45, रिजेन्सी पार्क -1 , डी-एल -एफ़, फेज़ -4 गुड़गाँव-112002, मोबाइल-9911274074

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