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- ज्योतिर्मयी पन्त
1
साँझ सिन्दूरी
रंग फैला,रवि भी
खेले होरी री।
2
पुहुप रंग
ओस की पिचकारी
धरा सजाए।
3
ये मधुमास
करे टोना प्रकृति
बेसुध सभी।
4
आए फागुन
अलि पिक गायन
तितली नाचे।
5
बिरवा झूमें
टेसू सरसों झूलें
फागुन छूले।
6
होली आई री
सजी टोलियाँ आली
आ खेलें होली।
7
स्नेह सिक्त हो
भाँग शराब बिन
ख़ुशी मनाएँ।
8
गीत संगीत
ढोल मँजीरे डफ
आनंद होली।
9
फागुनी हवा
थिरके धड़कन
बहके जिया।
10
बैर भुला दे
रंग पाटे खाइयाँ
लग जा गले।
संपर्क- ए-45, रिजेन्सी पार्क -1 , डी-एल -एफ़, फेज़ -4 गुड़गाँव-112002, मोबाइल-9911274074
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