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Nov 19, 2017
उदंती.com , नवम्बर-2017
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नवम्बर-2017
विशेष:
पर्यावरण/ प्रदूषण
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समय घट रीत रहा,
सोचो क्या बीत रहा
सोचा था आया हूँ कल
,
और रहूँगा अविरल
पर अब पछताना कैसा,
जब सब गया निकल
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अनकहीः
हवा में घुलता जहर....
-
डॉ. रत्ना वर्मा
प्रदूषणः
धुएँ की जहरीली चादर....
-प्रमोद भार्गव
आस्थाः
मंदिर के द्वार लगा पर्यावरण का पहरा
खतराः
पुआल से ज्यादा घातक हैं
...
प्लास्टिक कचरा:
अब भारत को जागने की जरूरत....
-डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन
वायु प्रदूषणः
साँस लेना हुआ दूभर....
-डॉ. रवीन्द्र कुमार
प्रेरकः
सोशल मीडिया और
“
पांच के औसत
”
का नियम
स्वास्थ्यः
प्रदूषण से बढ़ती मौतें
पर्यावरण संरक्षणः
पेड़ नहीं तो हम नहीं
-विशाल दुबे
रहन-सहनः
कहीं पर्यावरण विरोधी तो नहीं कचरे से बिजली
?
-मनोज निगम
ललित निबंधः
मेहंदी रंजित पाँव धरे
-शशि पाधा
विकासः
तरक्की के रास्ते पर छत्तीसगढ़ के किसान
-स्वराज कुमार
डायरी सेः
मुझे चाँद चाहिए
-माला झा
तीन बालगीतः
मुझको पंख लगाने दो
-सुनीता काम्बोज
पुस्तकः
'
रिश्ते मन से मन के
'
संवेदनात्मक लेखा-जोखा
-अनिता मण्डा
कविताः
जाने क्यूँ...
?
-प्रियंका गुप्ता
दो लघुकथाएँः
1.टी-
20
की सीरीज अनवरत
,
2.
खटर-पटर
-
कान्ता राय
लघुकथाः
सोच
-डॉ. पूर्णिमा राय
दो कविताएँः
1.बस एक ही ठिकाना
,
2.तेरे वास्ते
-सीमा जैन
कविताएँः
बहुत खुश है नदी
-गोवर्धन यादव
जीवन दर्शनः
इंद्र धनुष
-विजय जोशी
1 comment:
रश्मि शर्मा
said...
बहुत बढ़िया अंक। सभी लेखकों और संपादक को बधाई।
07 December
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1 comment:
बहुत बढ़िया अंक। सभी लेखकों और संपादक को बधाई।
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