स्वतंत्रता की रक्षा करना केवल सैनिकों का काम नहीं है, बल्कि पूरे देश को मजबूत होना चाहिए। - लाल बहादुर शास्त्री
इस अंक में
अनकहीः अरे ओ आसमाँ वाले... - डॉ. रत्ना वर्मा
आलेखः स्वतंत्रता के बाद आत्मनिर्भर होता भारत - प्रमोद भार्गव
दो कविताएँः भारती वन्दना, आज प्रथम गाई पिक पंचम - सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
कविताः विजयी के सदृश जियो रे - रामधारी सिंह 'दिनकर'
आलेखः आज़ादी की जंग में कूदी नारी-शक्ति - रमेशराज
साहित्यः सूरसागर में डूबते हुए - विनोद साव
कविताः शहीद - डॉ. सुषमा गुप्ता
चिंतनः उचित नहीं बच्चों के जीवन में अत्यधिक हस्तक्षेप - सीताराम गुप्ता
खानपानः फ्रिज में गाजर को रसीला कैसे रखें
स्वास्थ्यः सिकल सेल रोग के सस्ते इलाज की उम्मीद
कविताः चलती है हवा - सुरेश ऋतुपर्ण
प्रेरकः चोर बादशाह - निशांत कविताः प्रेम और नमक - सांत्वना श्रीकान्त
लघुकथाः पानी की जाति - विष्णु प्रभाकर
तीन लघुकथाएँः 1. नारे, 2. कलाकार, 3. लॉ और ऑर्डर - अनूप मणि त्रिपाठी
हास्य व्यंग्यः बत्तीसी पुराण - प्रेम गुप्ता ‘मानी’
शोधः प्लास्टिकोसिस की जद में पक्षियों का जीवन - अली खान
किताबेंः समृद्ध अतीत के सिंहावलोकन का अवसर - पुरु शर्मा
2 comments:
एक बेहतरीन अंक, सभी स्तंभ अच्छे हैं और अपनी छाप छोड़ने में सफल हुए हैं। आप एवं पूरी उदंती टीम को हार्दिक बधाई एवं साधुवाद।
आपके नेतृत्व में यूँ ही साहित्य की बगिया महकती रहे।
रमेश कुमार सोनी
हार्दिक धन्यवाद सोनी जी 🙏आप सब लोगों निरंतर मिलते सहयोग और प्रोत्साहन का ही परिणाम है कि उदंती.com 17 वर्ष में प्रवेश कर चुकी है l
आभर के साथ 💐
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