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Aug 1, 2024

कविताः शहीद

  -  डॉ. सुषमा गुप्ता







हमारे देश के सच्चे

 जाँबाजों के परिवारों 

के नाम ...

दो दिन हल्ला मचाके 

सब भूल जाएँगे.. 

दर्द क्या है 

उस बेवा से पूछो जिसकी

आँखों से अब सावन न जाएँगे ।

चार दिन शहीद शहीदी के 

सब नारे लगाएँगे... 

इंतजार क्या है

उन बच्चों से पूछो

 जिनके खिलौने अब न आएँगे।

अखबारों में बड़े दावे 

टीवी पे चर्चाएँ कराएँगे...

सूनापन उन माँ बाप से पूछो 

जो रुख़सती पे अब कंधा न पाएँगे ।

दो मुल्कों की सियासत में 

इनके नाम आएँगे ...

पर किसी को भी नहीं परवाह 

ये उजड़े घर 

कभी न मुस्कुराएँगे ...

कभी न मुस्कुराएँगे ।

सम्पर्कः 327/सेक्टर 16A, फरीदाबाद-121002 (हरियाणा) , ई मेल : 327suumi@gmail.com

1 comment:

Anonymous said...

भावपूर्ण, सुंदर कविता ।सुदर्शन रत्नाकर