हमारे देश के सच्चे
जाँबाजों के परिवारों
के नाम ...
दो दिन हल्ला मचाके
सब भूल जाएँगे..
दर्द क्या है
उस बेवा से पूछो जिसकी
आँखों से अब सावन न जाएँगे ।
चार दिन शहीद शहीदी के
सब नारे लगाएँगे...
इंतजार क्या है
उन बच्चों से पूछो
जिनके खिलौने अब न आएँगे।
अखबारों में बड़े दावे
टीवी पे चर्चाएँ कराएँगे...
सूनापन उन माँ बाप से पूछो
जो रुख़सती पे अब कंधा न पाएँगे ।
दो मुल्कों की सियासत में
इनके नाम आएँगे ...
पर किसी को भी नहीं परवाह
ये उजड़े घर
कभी न मुस्कुराएँगे ...
कभी न मुस्कुराएँगे ।
सम्पर्कः 327/सेक्टर 16A, फरीदाबाद-121002 (हरियाणा) , ई मेल : 327suumi@gmail.com
1 comment:
भावपूर्ण, सुंदर कविता ।सुदर्शन रत्नाकर
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