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झलकारी बाई |
अंग्रेजी शासन से मुक्त होने के लिए, दासता की बेडि़यों को तोड़ने में केवल राष्ट्रभक्त क्रान्तिवीरों ने ही अपने प्राणों की आहुति नहीं दी, बल्कि गुलाम भारत में ऐसी अनेक वीरांगनाएँ भी जन्मीं, जिनके मन को क्रान्ति की ज्वाला ने तप्त किया। जरूरत पड़ने पर सौन्दर्य की देवी नारियों ने भी रणचण्डी का रूप धारण किया। अंग्रेजों के छक्के छुड़ाने, उन्हें लोहे के चने चबवाने में विशेषकर दो वीरांगनाओं रानी लक्ष्मीबाई और बेगम हजरत महल के नाम से तो सब परिचित हैं। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि अंग्रेज अफसरों के यहाँ काम करने वाली लाजो के द्वारा ही मंगल पांडे तक चर्बी के कारतूसों की जानकारी पहुँची थी। मुगल सम्राट बहादुर शाह की बेगम जीनतमहल ने दिल्ली और उसके आसपास के क्षेत्रों में अंग्रेजों के खिलाफ जंग लड़ने के लिये अनेक योद्धाओं को संगठित किया था। चिनहट की लड़ाई में शहीद हुए पति का प्रतिशोध लेने वाली वीरांगना ऊदा देवी ने पीपल के पेड़ की घनी शाखों में छुपकर अपने तीरों से 32 अंग्रेज सैनिकों को मार गिराया और बाद में वीरगति को प्राप्त हुई।
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अवन्ती बाई |
तुलसीपुर रियासत की रानी राजेश्वरी ने होम ग्राण्ट के सैनिक दस्ते को जमकर टक्कर दी। अवध की बेगम आलिया ने अपनी लड़ाकू महिला फौज के साथ एक नहीं कई बार ब्रिटिश सैनिकों को अवध से बाहर खदेड़ा। ठकुराइन सन्नाथ कोइर और मनियापुर की सोगरा बीबी ने विद्रोही नेता नाजिम और मेंहदी हसन को जांबाज सैनिक, तोपें और धन देकर क्रान्तिकारियों की सहायता और हौसला अफजाई की।
झाँसी की रानी के ‘दुर्गा-दल’ की कुशल नेतृत्व देने वाली झलकारी बाई झाँसी के किले से अदम्य साहस के साथ लड़ी। मध्य प्रदेश के रामगढ़ की रानी अवन्तीबाई ने अंग्रेजों से जमकर युद्ध किया और घिरने पर स्वयं को खत्म कर लिया।
मध्य प्रदेश के जैतपुर और तेजपुर की रानियों ने दतिया के क्रान्तिकारियों के साथ अंग्रेजी फौज पर हमला किया।
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जीनत महल |
स्वामी श्रद्धानंद की पुत्री वेदकुमारी, आज्ञावती और सत्यवती के स्वाधीनता संघर्ष को भी भुलाया नहीं जा सकता है। कोल आन्दोलन, टाना आन्दोलन में आदिवासी जनजातियों की महिलाओं ने फरसा-बलुआ से अंग्रेजों के सर कलम किए।
चटगाँव विद्रोह की क्रान्तिकारी महिला प्रीतिलता वाडेयर ने एक यूरोपीय क्लब पर हमला किया और गिरफ्तार होने के डर से आत्महत्या कर ली। 1931 में स्कूल की दो छात्रा शांति घोष और सुनीता चौधरी ने जिला कलेक्टर को गोली मार दी। बीना दास ने कलकत्ता विश्व विद्यालय के दीक्षांत समारोह में गवर्नर को गोली मारकर ‘हिन्दुस्तान आजाद होकर रहेगा’, यह संदेश पूरे देश को दिया। बंगाल की ही सुहासिनी अली और रेणुसेन की क्रान्तिकारी गतिविधियों को देखकर अंग्रेज मन ही मन भयभीत हुए।![]() |
अजीजन बाई |
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मस्तानी बाई |
सुभाष चन्द्रबोस की आजाद हिन्द फौज की रेजिमेंट की कमाण्डिग ऑफीसर कैप्टन लक्ष्मी सहगल की आजादी की लड़ाई जितनी गौरवशाली है, भारतीय मूल की फ्रांसीसी नागरिक मैडम भीकाजी कामा को भी कैसे भुलाया जा सकता है जिन्होंने ब्रिटिश शासन को मानवता पर कलंक बताते हुए अन्तरराष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस कान्फ्रेंस में भारतीय ध्वज फहराया। कलकत्ता विश्व विद्यालय के दीक्षांत समारोह में वायसराय लार्ड कर्जन के अपमानजनक शब्दों का खुले मुखर होकर प्रतिकार करने वाली भगिनी निवेदिता की निर्भीकता भी वन्दनयोग्य है।
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भीकाजी कामा |
सम्पर्कः 15/109 ईसा नगर थाना सासनी गेट अलीगढ़, मोबा- 817145588
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