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Feb 3, 2024

उदंती.com, फरवरी- 2024

चित्रः डॉ. सुनीता वर्मा, भिलाई (छ.ग.)
  वर्ष - 16, अंक - 7 

यदि आप स्वयं प्रसन्न हैं,

तो जिंदगी उत्तम है।

यदि आपकी वजह से लोग प्रसन्न हैं,

तो जिंदगी सर्वोत्तम है।

इस अंक में 

अनकहीः जा पर कृपा राम की होई... - डॉ. रत्ना वर्मा

धर्म- संस्कृतिः दशावतारों के साथ अवतरित हुए भगवान राम - प्रमोद भार्गव

 दोहेः लौट आये श्री राम  - शशि पाधा

प्रकृतिः चारधाम हाईवे और हिमालय का पर्यावरण - भारत डोगरा 

 कविताः बसंत आ गया - अज्ञेय

 कविताः बसन्त की अगवानी - नागार्जुन

खान- पानः सब्जियाँ अब उतनी पौष्टिक नहीं रहीं - स्रोत फीचर्स

 विकासः फैशन को टीकाऊ बनाना होगा - अपर्णा विश्वनाथ

 संस्मरणः क खूबसूरत तस्वीर - देवी नागरानी

 कालजयी कहानीः बट बाबा - फणवीश्वरनाथ रेणु

 कविताः दे जाना उजास वसंत - निर्देश निधि

 कविताः मुझमें हो तुम - सांत्वना श्रीकांत

 व्यंग्यः गुरु और शिष्य की कहानी - अख़्तर अली

 ग़ज़लः 1. नादाँ हूँ... 2. सूरज बन कर  - विज्ञान व्रत

चर्चाः यात्रा वृत्तांत पर पहला विमर्श - विनोद साव

 लघुकथाः गौरैया का घर - मीनू खरे

 दो लघुकथाः 1. हनीट्रैप, 2. अन्तर्दृष्टि - डॉ. उपमा शर्मा

 कथाः अपना-पराया - प्रिया देवांगन ‘प्रियू’

 स्वास्थ्यः दिल के लिए... बैठने से बेहतर है - डॉ. डी. बालसुब्रमण्यन

 जीवन दर्शनः सुकरात से सीख उर्फ मैं से निजात - विजय जोशी 

2 comments:

Anonymous said...

बहुत सुंदर आवरण,बेहतरीन रचनाओं से वसंत के आगमन का एहसास दिलाता आकर्षक अकं। सम्पादक महोदया एवं सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ। सुदर्शन रत्नाकर

रत्ना वर्मा said...

हार्दिक धन्यवाद और आभार सुदर्शन जी 🙏आपके प्रोत्साहन और स्नेह से भरे शब्दों का कमाल है सब l