उदंती.com को आपका सहयोग निरंतर मिल रहा है। कृपया उदंती की रचनाओँ पर अपनी टिप्पणी पोस्ट करके हमें प्रोत्साहित करें। आपकी मौलिक रचनाओं का स्वागत है। धन्यवाद।
May 15, 2018
उदंती.com मई 2018
उदंती.
com
मई
2018
राह बनाने वाले तो
,
राह बनाकर ही रहते।
सच्चे मन से दुनिया को
,
सदा जगाकर ही रहते।
चाहे उनको बंजर दो
,
जंगल या वीराना दो।
जिनमें दम वे सभी जगह
,
फूल खिलाकर ही रहते।
-रामेश्वर काम्बोज
‘
हिमांशु
’
संस्मरण विशेष
अनकहीः
उम्मीद की एक किरण...
- डॉ. रत्ना वर्मा
यात्रा वृतांतः
हेपटेसिया... तैं हा बिक्कट टेसिया
- विनोद साव
संस्मरणः
कंगन
- शशि पाधा
कविताः
काँच की चूड़ियाँ
- डॉ.
कविता भट्ट
संस्मरणः
पास बुलाते चीड़
और देवदार
-
डॉ
.
आरती स्मित
स्मृतिः
प्रतिमाओं में राजकपूर
-प्रमोद भार्ग
व
जयन्तीः
कवींद्र-रवींद्र और उनके विमर्श
-
कृष्ण कुमार यादव
संस्मरणः
पेपर लीक
- डॉ॰ बलराम अग्रवाल
संस्मरणः
काश..बचपन फिर लौट आए
-
डॉ० भावना कुँअर
लघुकथाः
प्लूटोक्रेट, कोरा कागज़, सफाई
- सुकेश साहनी
संस्मरणः
बरनी में रखी कुछ यादें...
-
प्रियंका गुप्ता
संस्मरणः
मोबाइल सत्संग
- डॉ संगीता गांधी
संस्मरणः
शरारती पिंकी
- परमजीत कौर
'
रीत
’
कविताः
कभी तो सुबह होगी
- शबनम शर्मा
प्रेरकः
अपने भीतर के फाइटर को जगाना होगा
- निशांत
शर्मा
मीडियाः
ट्विटर पर झूठी खबरें ज्य़ादा तेज़ चलती हैं
किताबेः
टुकड़ा-टुकड़ा इन्द्रधनुष
-आशा शर्मा
जीवन दर्शनः
पारसी क्यों हैं
‘
पारस
’
से
- विजय जोशी
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment