उदंती.com-मई 2011
प्रकृति का तमाशा भी ख़ूब है।
सृजन में समय लगता है
जबकि विनाश
कुछ ही पलों में हो जाता है।
- ज़किय़ा ज़ुबैरी
सृजन में समय लगता है
जबकि विनाश
कुछ ही पलों में हो जाता है।
- ज़किय़ा ज़ुबैरी
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अनकही: पाकिस्तान + ओसामा बिन लादेन...स्वच्छताः हम सब हाथ धोकर पीछे पड़ें हैं! - सुशील जोशी
पर्यटनः प्रकृति की गोद में बसा 'मिनी कश्मीर' - लोकेन्द्र सिंह राजपूत
बाघ संरक्षणः बाघों की अनोखी शरणस्थली 'टाइगर टेम्पल' - अशोक सिंघई
बाघ संरक्षणः क्या बच पाएगा 'बाघ' - संदीप पौराणिक
बाघ संरक्षणः वनराज जंगल की सल्तनत छोड़कर बाहर ... -देवेन्द्र प्रकाश मिश्र
जीवनशैलीः मार्क्स और उनकी जीवनसंगिनी
वाह भई वाह
विश्व तम्बाकू निषेध दिवसः धुएं से तबाह होती जिंदगी - कृष्ण कुमार यादव
कविता: कालिंग बेल - अरुण चन्द्र रॉय
यादेः उनके बाल छू लेने की ख्वाहिश ... - रश्मि प्रभा
आजीविकाः बेकिंग से 'पौपी' और उसके दोस्तों ... - टेरेसा रहमान
कहानी: मास्टरनी - भुवनेश्वर
लघुकथाः 1. इस्तेमाल 2. कबाड़ 3. धर्म- विधर्म -सुभाष नीरव
जिनके लिए मीठा खाना जहर .....
संसाधनः बूंद- बूंद से ही भरता है घड़ा - नवनीत कुमार गुप्ता
गज़ल : हरसिंगार - जहीर कुरेशी
पिछले दिनों
आपके पत्र/ मेल बाक्स
रंग बिरंगी दुनिया
आवरण तथा भीतर प्रकाशित बाघों के सभी चित्र- वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर सीज़र सेनगुप्त, मुंबई द्वारा
ईमेल: workcaesar@gmail.com
1 comment:
namaskaar !
har baar ki tarah may ka ank bhi khoo surat hai , umdaa rachnaon ke liye rachnaaakaaron sahit sampadak mahoday jee bhi badhai ke paatr hai .
sadhuwad
saadar
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