पिछले दिनों

ठेठ ग्रामीण माहौल में पली-बढ़ी मोनिका के हौसले ने बदलाव की नई इबारत लिख डाली। आत्मविश्वास से सराबोर वह पगड़ी पहन घोड़ी पर बैठकर गांव की गलियों में निकली तो सदियों के तमाम बंधन एक झटके में टूट गए। मोनिका ने 4 मई को शादी से पूर्व दूल्हे की तरह गांव में घुड़चढ़ी की रस्म अदा की। बेटी के इस हौसले को मां-बाप व भावी पति का भी भरपूर समर्थन मिला। इसके बाद उसने 5 मई को अग्नि को साक्षी मानकर हिंदू रीति-रिवाज में बताए गए सात फेरे और कसमें पूरी करने के बाद तांबे के पवित्र लोटे में गंगाजल डाल एक फेरा और लेते हुए संकल्प लिया कि वे जीवन पर्यन्त कन्या भ्रूण हत्या नहीं होने देंगे। उन्हें ईश्वर चाहे लड़का दे या लड़की, वे उसे स्वीकार करेंगे।
महिलाओं ने फिर मारी बाजी
पिछले साल की तरह इस वर्ष भी पूरे देश में सिविल सेवा परीक्षा में पहला व दूसरा स्थान स्थान महिलाओं के


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