- ज़हीर कुरेशी
मन ही मन लोग डरने लगे,
अनवरत बात करने लगे।
रास आते ही यायावरी,![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjV9t0277Z7J9qTRKJZjdM48lc8-Sf1fLB2Moj-usxaJK1_V_VrRHcyDCkDpzzuPxkbBaTQgCP67GESOb4VWMtxYam1p1dfm7VNy-3APdUjtergRzbnxmcn3F9xK62Cw2NllC6M_k1g8ptg/s320/gajal-edt.jpg)
खुशबुओं से विचरने लगे।
घर की शादी में चिन्ता सहित,
लोग खुशियों से भरने लगे।
उसने ज्यों ही छुआ हरसिंगार,
अनगिनत फूल झरने लगे।
राज-सत्ता के संकेत पर,
लोग हद से गुजरने लगे।
द्वंद्व की तेज आंधी चली,
मन के उल्लास मरने लगे।
जितने चेहरे भी संदिग्ध थे,
प्रश्न बनकर उभरने लगे।
पता: समीर कॉटेज, बी-21, सूर्य नगर, शब्द प्रताप आश्रम के पास,
ग्वालियर 474012 (म.प्र.) मो. 09425790565
अनवरत बात करने लगे।
रास आते ही यायावरी,
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjV9t0277Z7J9qTRKJZjdM48lc8-Sf1fLB2Moj-usxaJK1_V_VrRHcyDCkDpzzuPxkbBaTQgCP67GESOb4VWMtxYam1p1dfm7VNy-3APdUjtergRzbnxmcn3F9xK62Cw2NllC6M_k1g8ptg/s320/gajal-edt.jpg)
खुशबुओं से विचरने लगे।
घर की शादी में चिन्ता सहित,
लोग खुशियों से भरने लगे।
उसने ज्यों ही छुआ हरसिंगार,
अनगिनत फूल झरने लगे।
राज-सत्ता के संकेत पर,
लोग हद से गुजरने लगे।
द्वंद्व की तेज आंधी चली,
मन के उल्लास मरने लगे।
जितने चेहरे भी संदिग्ध थे,
प्रश्न बनकर उभरने लगे।
पता: समीर कॉटेज, बी-21, सूर्य नगर, शब्द प्रताप आश्रम के पास,
ग्वालियर 474012 (म.प्र.) मो. 09425790565
1 comment:
Raj Satta ke sanket par
Log Had se guzarne lage
Lajawaab
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