खुद के लिये जीनेवाले की ओर कोई ध्यान नहीं देता पर जब आप दूसरों के लिये जीना सीख लेते हैं तो वे आपके लिये जीते हैं। - परमहंस योगानंद
इस अंक में
अनकही: ख़ुशी का ख़ज़ाना - डॉ. रत्ना वर्मा
आलेख: भावनात्मक बुद्धिमत्ता जीवन को बेहतर बनाती है - शशि पाधा
गीत: नए वर्ष का वंदन है! - गिरीश पंकज
आलेखः नये साल में नया क्या करें - प्रीतीश नंदी
शोधः अफवाह फैलाने में व्यक्तित्व की भूमिका -स्रोत फीचर्स
यात्रा- संस्मरणः दक्षिण भारत के छुटपुट अफसाने - वीणा विज ‘उदित’
आधुनिक बोध कथाएँ: बर्तनों के बच्चे - सूरज प्रकाश
आलेखः कोई मुझे गहरी नींद दे दे....- डॉ. महेश परिमल
व्यंग्य: शुभचिंतकों से सावधान - विनोद साव
हाइकुः मन के पूरब में सूरज उगा - कमला निखुर्पा
कविताः भोर की लालिमा में - डॉ कविता भट्ट
बालकथाः चालाक लोमड़ी और मूर्ख भालू - प्रियंका गुप्ता
कहानीः सोहावन भैया - सारिका भूषण
क्षणिकाएँ: सर्द रातों में - भुवनेश्वर चौरसिया ‘भुनेश’
किताबें: भाव जगत को झंकृत करता; लम्हों का सफर - डॉ. शिवजी श्रीवास्तव
लघुकथाः भविष्य में - पवन शर्मा
सेहत: हल्दी के औषधीय गुण - डॉ.
डी. बालसुब्रमण्यन
7 comments:
नव वर्ष पर अनमोल तोहफ़ा है उदंती का यह अंक। हमेशा की तरह ख़ूबसूरत आवरण चित्र और पठनीय सामग्री। मेरी पुस्तक की समीक्षा भी इस अंक में शामिल है, बेहद ख़ुशी हुई। सभी लेखकों व रत्ना जी को हार्दिक बधाई।
सुंदर रचनाओं से सुसज्जित उत्कृष्ट अंक।हर रचना अपने मे महत्त्वपूर्ण है।समस्त रचनाकारों को बधाई।श्रेष्ठ सम्पादन हेतु रत्ना वर्मा जी को बधाई।मेरी समीक्षा प्रकाशित करने हेतु धन्यवाद।
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
शुभकामनाएं
बहुत सुंदर प्रस्तुति
शुभकामनाएं
उदंती का जनवरी 2022 अंक बहुत सुन्दर, हार्दिक शुभकामनाएँ ।
बहुत सार्थक सुंदर अंक है, आपको और सभी रचनाकारों को बहुत बधाई
उदंती का अच्छा अंक है... सभी रचनाएं प्रभावित करती हैं. सभी सम्मानीय रचनाकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 💐 🙏
Post a Comment