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Jan 1, 2022

क्षणिकाएँ : सर्द रातों में

 - भुवनेश्वर चौरसिया ‘भुनेश’

1. सपना

जो लोग सोते हुए 

अमीर बनने के

सपने देखते हैं।

वही लोग जागते हुए 

हाथ पर हाथ धरे

अपने घरों के दालान में बैठे

घर की शोभा बढ़ाते हैं।

2. दाद

लोहा मनवाना तो

कोई उन से सीखे

जो लोग पत्थरों को 

काटकर अंजान लोगों

के लिए खूब लंबे चौड़े

रास्ते बना देते हैं।

3. दूध-भात

जीते जी जिसे जीवन भर

माँड भात नसीब न हुआ

मरणोपरांत उसे दूध-भात

नसीब होता है।

4. अच्छी कविता

किसी कवि की 

सबसे अच्छी कविता की

चर्चा अक्सर 

श्मशान पहुँचने के बाद

शुरू होता है।

5. नरसंहार

लाखों लोग राजनीतिक

षड्यंत्र के अनायास ही

शिकार हो जाते हैं।

नरसंहार की शुरुआत तो

भाइयों के भाइयों के साथ

लड़कर शुरू होता है।

6. अनकहा- सा

सब लोग उस तरफ भागना

अधिक पसंद करते हैं

जिसे आज तक देखा सुना नहीं गया।

7. पशुपालक

वे इतने अच्छे पशुपालक हैं

कि किया बताऊँ

अपने पालतू पशुओं को

घास की जगह पर

चारा डालते हैं।

8. सुहाना मौसम

वे अक्सर सर्दियों में ओढ़े 

जाने वाले कम्बल को

रोज धोते सुखाते हैं

और सर्द रातों में ठंड से

ठिठुरते रहते हैं।

9. फल

वे बबूल के पेड़ पर चढ़कर

आम का फल तोड़ लाते हैं

अपनी मूर्खता पर मंद-मंद

मुस्कुराते हैं।

10. छाला

सलीम मियां बेगम की खुशी के लिए

अगर बेगम सब्जी में नमक मिर्च और

हल्दी न भी डालें तो खाते हुए

सी सी ऐसे करते हैं

जैसे मुँह में छाला पड़ गया हो।

सम्पर्कः 288/22, गांधी नगर, गुड़गाव, हरियाणा:122001 फोन: 9910348176

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