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Jan 1, 2022

गीतः नए वर्ष का वंदन है!

 -गिरीश पंकज

बीत गया जो बीत गया बस,उसको हमें भुलाना है।

नई आस्था, नए स्वप्न को,फिर से चलो सजाना है।

पीछे मुड़कर देखेंगे तो, बस क्रंदन-ही-क्रंदन है ।

नए वर्ष का वंदन है।।

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कुछ तो बिछड़ गए उन सबका, दर्द हमेशा बना रहेगा

जो आया है, वह जाएगा, सत्य मगर यह तना रहेगा।

जिसने समझी सच्चाई, उस ज्ञानवान का वंदन है

नए वर्ष का वंदन है।।

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हर दिन हमें सबक मिलता है, कुछ हम बेहतर काम करें ।

भूल सुधारें अपनी बढ़कर, व्यर्थ न हम आराम करें।

नये पंथ पर नई आस ले, जीवन का स्पंदन है ।।

नये वर्ष का वंदन है।।

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कोरोना ने हमें रुलाया, बहुत डराया दुनिया को ।

लेकिन सच है यह भी कड़वा, सबक सिखाया दुनिया को।

जो जीने की कला जान ले, वही महकता चंदन है ।।

नये वर्ष का वंदन है।।

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साथ साथ जीना मरना है, साथ-साथ ही चलना है

क्षणभंगुर है जीवन अपना, यह काया तो छलना है।

जब तक जिएँ नया करें कुछ, क्या इसमे कुछ बन्धन है।

नये वर्ष का वंदन है।।

1 comment:

शिवजी श्रीवास्तव said...

सामयिक सन्दर्भो में नव वर्ष के स्वागत का सुंदर गीत।बधाई गिरीश पंकज जी।