एक हजार खोखले शब्दों से
बेहतर वह एक शब्द है
जो शांति लाता है। - गौतम बुद्ध
इस अंक में
अनकहीः वरिष्ठ नागरिक होने का दर्द... - डॉ. रत्ना वर्मा
आलेखः देश में शुरू हुआ गर्म हवाओं का प्रकोप - प्रमोद भार्गव
कविताः इस नैया का और खिवैया - रवीन्द्रनाथ टैगोर
स्वास्थ्यः तलाशना होगा रसोई गैस का विकल्प - अली खान
बुद्ध जयंतीः बुद्धम् शरणम् गच्छामि - ओशो
प्रेरकः अपने अपने वनवास - निशांत
कविताः पर तुम नहीं बदले - कमला निखुर्पा
जन्म दिवसः शरद जोशी होने का अर्थ - बसन्त राघव
व्यंग्यः अतिथि तुम कब जाओगे - शरद जोशी
हाइबनः 1. भँवर, 2. दूसरा कबूतर 3. पट्टे का दर्द - सुदर्शन रत्नाकर
व्यंग्यः पोथी पढ़ि -पढ़ि जग मुआ - रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
कहानीः नदी का इश्क जिंदा था - दिव्या शर्मा
कविताः चाँद डूब गया - डॉ. कविता भट्ट
लेखकों की अजब गज़ब दुनियाः अजीब आदतों वाले लेखक-2 - सूरज प्रकाश
लघुकथाएँः पहरे पर संतरी -आनंद हर्षुल, नोट -अवधेश कुमार, मुक्ति -अर्चना वर्मा
कविताः 1. लम्हें , 2. तलाश - पूनम कतरियार
दोहेः साँसों का यह साज - रश्मि विभा त्रिपाठी
जीवन दर्शनः बाधा तोड़ें सबको जोड़ें- पाँच उँगलियों का सिद्धांत - विजय जोशी
3 comments:
अत्यंत उत्कृष्ट अंक 🌹आप सभी सृजनकारों को बधाई 🙏
हर अंक आपकी मेहनत व लगन दर्शाता है, बहुत शुभकामनाएं और सभी रचनाकारों को बहुत बधाई
एक अच्छा अंक,सभी रचनाकारों को एवं पूरी संपादकीय टीम को हार्दिक बधाई।
सभी स्तम्भ अपने स्थान पर अपनी श्रेष्ठता सिद्ध कर रहे हैं।
रमेश कुमार सोनी
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