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May 1, 2023

कविताः चाँद डूब गया

 - डॉ. कविता भट्ट

मुस्काते हुए धीमे से बोला चाँद

अरे झील! तुम बहुत सुंदर हो।

मैं तुमसे अथाह प्यार करता हूँ,

तुम्हें देखना चाहता हूँ जी भर।

झील ने मुस्काते हुए उत्तर दिया-

मुझे निहारना तो सामान्य बात है;

सुनो! विशेष तो मुझमें उतरना है।

चाँद उतर गया, गहरी झील में।

वो बोली उतरना सामान्य बात है-

नितांत भिन्न तो मुझमें डूबना है।

चाँद डूब गया, उस गहरी झील में।

अब झील मंद मुस्काते हुए बोली-

मुझमें डूबने का नहीं बड़ा महत्त्व,

किंतु अति विशिष्ट है, डूबे रहना।

चाँद पूरा डूब गया मुदित झील में।

झील ने आँखें मटकाते हुए कहा-

सुनो चाँद! उबरना तो बहुत दूर;

यह अब कभी सोचना भी मत।

चाँद अब पूरा झील में खो चुका

प्रेम है...उतरना...डूबना...डूबे रहना...

सम्पर्क: सम्प्रति: फैकल्टी डेवलपमेंट सेण्टर, पी.एम.एम.एम.एन.एम.टी.टी.,प्रशासनिक भवन II, हे.न.ब.गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर (गढ़वाल), उत्तराखंड

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