तुम पार लगा
देना
-डॉ. सुधा गुप्ता
1
तुम हाथ बढ़ा
देना
करुणाकर !सुन
लो
तुम पार लगा
देना ।
2
मन को अब चैन
नहीं
आँखें रीती हैं
होठों पर बैन
नही।
3
अमरस अँगनाई में
कोयल कूक रही
अब तो अमराई में
।
-0-
ये विनती है
-डॉ. ज्योत्स्ना शर्मा
1
रुत ये वासंती
है
चरणों में हमको
ले लो ये विनती
है ।
2
दो बूँद दया
बरसे
हम भी हैं तेरे
फिर कौन भला
तरसे ।
3
देरी से आना हो
आकर जाने का
कोई न बहाना हो
।
-0-
बोलो कब आओगे
3- डॉ. भावना कुँअर
1
तुम बरसों बाद
मिले
मन के तार छिड़े
सारे ही ज़ख़्म सिले।
2
जीवन की रीत रही
सच्ची प्रीत सदा
इस मन की मीत
रही
3
बोलो कब आओगे ?
उखड़ रही साँसें
सूरत दिखलाओगे ?
(अनुपमा त्रिपाठी के स्वर
में माहिया सुनने के
लिए http://youtu.be/EEhS2HJvzXE) पर क्लिक कीजिए ।
3 comments:
तुम हाथ बढ़ा देना
करुणाकर !सुन लो
तुम पार लगा देना ।
सुधा जी सभी माहिया बहुत सुंदर
दो बूँद दया बरसे
हम भी हैं तेरे
फिर कौन भला तरसे ।
ज्योत्स्ना जी सभी माहिया उम्दा ..हार्दिक बधाई
तुम बरसों बाद मिले
मन के तार छिड़े
सारे ही ज़ख़्म सिले
भावना जी सभी माहिया अति सुन्दर ..हार्दिक बधाई
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